कविता
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विश्व धरा पर छा जांऊ,
है ये मेरे मन का सपना,
सकल जगत में परचम लहरे,
बने एक पहचान जग में,
सपना हृदय से यही है अपना!!!!
सब प्रभु कृपा से है मिलता,
उसका सदा तह दिल से सम्मान करना,
सारे जगत में रोशनी फैलाकर,
तुम दिव्य स्वर्णिम प्रकाश करना।
अभिमान कभी भी मत करना,
अपनी शोहरत और धन दौलत पर,
सब यहीं रह जाना है,
साथ नहीं कुछ तेरे जाना—-
राम नाम सुमिरन करले,
बस यही साथ है जाना,
नेक कर्म, सदगुण आपके,
यहीं धरा पर है रह जाना?????
सुषमा सिंह *उर्मि,,