कविता
मुस्कुरा कर चल मुसाफिर
जीवन में कठिनाइयां बहुत है,
पर चलना तो तुझे ही है मुसाफिर,
जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते है,
ये तो आते ही रहेगें तू चलता रह निरंतर
मुस्कराते हुए चलता रह मुसाफिर,
ये जीवन एक संघर्ष है मुस्कुरा कर मुकाबला कर
संघर्ष से निखरता है ये जीवन मुसाफिर,
बस थोड़ी धीरज रख समय सब एक-सा नहीं हमेशा
सुख-दुःख तो जीवन आते जाते रहेगें हमेशा,
बस मुस्कुरा कर चलता रह मुसाफिर
तू मुस्कुराते हुए चलता रह मुसाफिर !!
✍️ चेतन दास वैष्णव ✍️
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा
राजस्थान
स्वरचित मेरी रचना