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14 Feb 2021 · 1 min read

कविता

जिसने जैसी समझी कविता ।
उतनी उसके अतन्स पहुंची ।।

साहित्य सरोवर नीर लिए ।
जा गहरे मन मानस पहुंची ।।

कवि का है प्रतिबिंब जगत ।
कल्पना सृजन हित होती हैं ।।

खुशियों के अम्बारों से ले ।
पीड़ाएँ जहां तक रोती हैं ।।

उत्थानों के स्वर में जाती है ।
पतन निकट नीरस पहुंची ।।

जिसने जैसी समझी कविता
उतनी उसके अतन्स पहुंची ।।
✍️सतीश शर्मा ।

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 323 Views
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