~कविता~
~रिश्तों का महत्व समझाती कविता~
वो रूठा,तुम भी रूठ गए फिर
मनाएगा कौन ?
आज दरार है,कल खाई होगी फिर
भरेगा कौन ?
वो चुप, तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर
तोड़ेगा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से रिश्ता फिर
निभाएगा कौन ?
दुखी वो भी तुम भी बिछड़ कर, सोचो हाथ फिर
बढ़ाएगा कौन ?
न वो राजी न तुम राजी माफ़ करने का बड़प्पन फिर
दिखाएगा कौन ?
डूब जाओगे दुखों के दरिया में कभी, दिल तुम्हारा फिर
बहलाएगा कौन ?
एक अहम उसके, एक तुम्हारे भीतर भी इस अहम को फिर
हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है, कब तलक के लिए अकेला यहाँ फिर
रहजाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें कल इस बात पे फिर
पछतायेगा कौन ?
डॉ.किरण पांचाल (अंकनी)