कविता
खाली मन को भरने आती,
रोज रोज दिल को बहलाती ।
सुख दुःख की मेरी संगिनी,
इस जग को जग से मिलवाती।
जीवन पथ पर साथ निभाती,
हर पल वो साँसों में रहती ।
मैं करता रहता इंतजार,
उसकी बात मुझको लुभाती ।
नित नित नए सुविचार लाती,
जग को नीति उपदेश देती ।
सभी उसको हरदम चाहते ,
अधरों पर वह बैठी रहती ।
जब तक कलम साथ में रहती ,
वह बैठकर मन में विचरती ।
बिना उसके जीना नही हैं ,
कितनी प्यारी कविता होती ।
।।जेपीएल।।