Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Mar 2019 · 1 min read

कविता

आज भी पुलवामा का घाव हरा है मेरे जीवन में,
वीर सैनिकों की यादें बैठी है सब मेरे मन में

जो लिपट तिरंगे में घर आए उन सबकी कुर्बानी को,
भूल नहीं सकती हूँ मैं उनकी अमर कहानी को,

देखा था नन्हे हाथों को अर्थी पर फूल चढाए थे,
माँ,बहन बीवी संग बच्चे भी बिलखे थे, चिल्लाये थे,

तुम ही कह दो मित्र मेरे कैसे हम मुस्काएं,
मन है व्यथित हमारा हम कैसे फाग सुनाएं “

Language: Hindi
1 Like · 512 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुमसे मैं एक बात कहूँ
तुमसे मैं एक बात कहूँ
gurudeenverma198
दृढ़
दृढ़
Sanjay ' शून्य'
रविवार की छुट्टी
रविवार की छुट्टी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"कब तक हम मौन रहेंगे "
DrLakshman Jha Parimal
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
पावस की रात
पावस की रात
लक्ष्मी सिंह
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
Subhash Singhai
"रिश्ता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
2629.पूर्णिका
2629.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वो हमसे पराये हो गये
वो हमसे पराये हो गये
Dr. Man Mohan Krishna
अब कहाँ मौत से मैं डरता हूँ
अब कहाँ मौत से मैं डरता हूँ
प्रीतम श्रावस्तवी
हंसते ज़ख्म
हंसते ज़ख्म
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"संयम"
Dr. Kishan tandon kranti
बीत गया प्यारा दिवस,करिए अब आराम।
बीत गया प्यारा दिवस,करिए अब आराम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
शुभ रक्षाबंधन
शुभ रक्षाबंधन
डॉ.सीमा अग्रवाल
नौकरी (१)
नौकरी (१)
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
*पशु- पक्षियों की आवाजें*
*पशु- पक्षियों की आवाजें*
Dushyant Kumar
"आज ख़ुद अपने लिखे
*Author प्रणय प्रभात*
मास्टर जी: एक अनकही प्रेमकथा (प्रतिनिधि कहानी)
मास्टर जी: एक अनकही प्रेमकथा (प्रतिनिधि कहानी)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दुख
दुख
Rekha Drolia
सरस्वती वंदना-1
सरस्वती वंदना-1
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
Shweta Soni
#धोती (मैथिली हाइकु)
#धोती (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
Vishal babu (vishu)
मीठी नींद नहीं सोना
मीठी नींद नहीं सोना
Dr. Meenakshi Sharma
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
Loading...