कविता
कोई पढ़े
या न पढ़े
किसी को पसंद
हो या न हो मेरी रचना
कोई तारीफ़ करे
या तनकीद ही करे।
लाइक्स या कमेंट्स की
मैं उम्मीद नहीं करता क्योंकि
सोशल मीडिया के पटल पर ये
लेनदेन का बड़ा करोबार है ।
पर मैं तो लिखूंगा
बिना किसी परवाह के
तारीफ़ और वाह!वाह!के ।
मगर अपने
अनोखे,बेवाकअंदाज़ में।
मुझ्रे तो है लिखना
क्योंकि अलग है दिखना।
-अजय प्रसाद