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27 Jul 2020 · 1 min read

कविता

कविता

कविता
पेट नहीं भरती है
मगर हाँ, भूख ज़रूर
बढ़ा देती है लिखने वालों का ।
और ज्यादा लिखने के लिए
और ज्यादा छपने के लिए
और ज्यादा पढ़े जाने के लिए ।
कवी,कथाकार,लेखक,समीक्षक
और जितने भी होते हैं रचनाकार ।
सब चाहतें हैं अपने-अपने तरीके से
अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को
अपनी रचनाओं के माध्यम से
लोगों तक पहुँचाने के लिए।
विषयवस्तु परिस्तिथि और दौर
के मुताबिक लेखन स्वरुप भी
बदलता रहता है,
अगर
नहीं बदलता है
तो वो है इनकी
“मालिहालत ”
(कुछेक को छोड़ कर)
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 228 Views
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