Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2018 · 1 min read

कविता

“मैं कौन हूँ”
*********

कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं?
प्रश्न का एक जवाब हूँ मैं।

(1)ईश्वर की भेजी दुनिया में
कोमल, बलशाली रचना हूँ,
रिश्तों की जीती परिभाषा
अरु धैर्य धारणी ललना हूँ।

(2)सत्य, अहिंसा, मानवता का
पहन वसन धरती पर आई,
लक्ष्मी, काली का रूप धरा
दुश्मन को भाषा सिखलाई।

(3)भर शक्ति अटूट निज बाहुबल
रचती आई इतिहास कई,
उर दीप जला विश्वासों के
त्योहार मनाए खास कई।

(4)अन्याय,पाप का कर विरोध
आगाज़ बनी ,अंजाम बनी,
दर्द पराए भी खुद सहकर
हर निर्बल का पैगाम बनी।

(5)हार-जीत को बिसरा करके
निर्भयता का कर्म सिखाया,
अस्त्र-शस्त्र सम कलम चलाकर
कवि जीवन का धर्म निभाया।

(6)शंख भी मैं, स्वर नाद भी मैं
गीता के श्लोक-सार भी मैं,
निज वंश की पहचान भी मैं
इस सृष्टि का आधार भी मैं।

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी, (उ. प्र.)
#स्वरचित
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
281 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all

You may also like these posts

बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
पंकज परिंदा
योग ही स्वस्थ जीवन का योग है
योग ही स्वस्थ जीवन का योग है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।
वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।
Kumar Kalhans
सत्य है भीतर
सत्य है भीतर
Seema gupta,Alwar
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मैं एक खिलौना हूं...
मैं एक खिलौना हूं...
Naushaba Suriya
सनातन की रक्षा
सनातन की रक्षा
Mahesh Ojha
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
शेखर सिंह
सफल हस्ती
सफल हस्ती
Praveen Sain
*जंगल की आग*
*जंगल की आग*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
ललकार भारद्वाज
★दाने बाली में ★
★दाने बाली में ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
उम्मीद का दामन।
उम्मीद का दामन।
Taj Mohammad
" नौलखा "
Dr. Kishan tandon kranti
2565.पूर्णिका
2565.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
लहरें जीवन की हों, या जल की ..
लहरें जीवन की हों, या जल की ..
पूर्वार्थ
चोट खाकर टूट जाने की फितरत नहीं मेरी
चोट खाकर टूट जाने की फितरत नहीं मेरी
Pramila sultan
आओ स्वतंत्रता का पर्व
आओ स्वतंत्रता का पर्व
पूनम दीक्षित
मजदूर की व्यथा
मजदूर की व्यथा
Rambali Mishra
कुछ नहीं बचेगा
कुछ नहीं बचेगा
Akash Agam
सच तो फूल होते हैं।
सच तो फूल होते हैं।
Neeraj Agarwal
■ लोकतंत्र की जय।
■ लोकतंत्र की जय।
*प्रणय*
"नींद की तलाश"
Pushpraj Anant
माँ महागौरी है नमन
माँ महागौरी है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
नग़मा- लिखूँ जो भी वही नग़मा...
नग़मा- लिखूँ जो भी वही नग़मा...
आर.एस. 'प्रीतम'
हृदय बड़ा उद्विग्न है..
हृदय बड़ा उद्विग्न है..
Priya Maithil
Loading...