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17 Aug 2019 · 1 min read

कविता- हँसी ठिठोली कर लें आओ

कविता- हँसी ठिठोली कर लें आओ
□■■■□■■■□■■■□
दुनिया के कुछ लोग हमेशा,
रहते हैं मुरझाए।
हँसी-ठिठोली कर लें आओ,
हर कोई मुस्काए।।

बीवी जिसकी कद्दू जैसी,
वह ककड़ी का भ्राता।
चलना पड़ता साथ कभी तो,
पति केवल शरमाता।।

पति मोटा होने की खातिर,
खाता रोज दवाई।
बीवी दुबराने को मीलों,
नाप रही लंबाई।।

जिसकी बीवी गोरी-चिट्टी,
वह रहता मतवाला।
हप्ते में इक बार नहाए,
ऊपर से है काला।।

जिसकी बीवी छोटी है वह,
हील उसे दिलवाता।
जिसकी बीवी लंबी चौड़ी,
पल्लू में छुप जाता।।

मैंने की बकवास यहाँ पर,
भले बजाओ ताली।
मेरे कानों को खींचेगी,
घर जाते घरवाली।।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 16/08/2019

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