कविता-सुनहरी सुबह
सुबह हमें जगाती है, काम की याद दिलाती है,
सुबह हमें सबसे पहले, प्रभु की याद कराती है,
रोज़ सवेरे सबसे पहले, सूरज से मिलवाती है,
सुबह की शोभा हम सबको, मन ही मन भाती है ।।
सुबह देख चंदा भी देखों ,मन ही मन शर्माता है,
पक्षीगण का कलरव भी, हम सबको हर्षाता है,
सुबह उठकर मुर्गा देखों, पहली बांग लगाता है,
सुप्त शांत से जीवन में, आशा की ज्योत जगाता है।।
सुबह-सुबह अम्बर में भी, लालिमा छा जाती है,
सुबह-सुबह ही चिड़िया भी, दाना चुगकर लाती है,
सुबह-सुबह ही निर्धन को, भूख बहुत सताती है,
सुबह-सुबह ही धनवानों की गाड़ी चमचमाती है ।।