कविता : संघर्ष
संघर्ष करो फल तुम पाओ। कभी नहीं पर तुम घबराओ।।
बाधाएँ तो आएँ जाएँ। साहस से पर मुँह की खाएँ।।
डरकर पीछे कभी न हटना। अटल अडिग हो चलते चलना।।
ग़लती से सीख नयी लेना। दोष स्वयं को पर मत देना।।
ख़ूब परीक्षाएँ आएँगी। हँसकर देना मन भाएँगी।।
रोकर करना हँसकर करना। करना तुमको हारो वरना।।
संघर्ष अकेले ही करना। सोच यही अपने मन भरना।।
और टाँग तेरी खीचेंगे। तुमसे आँखें भी मीचेंगे।।
मायूस नहीं मन से होना। धैर्य कभी भी तुम मत खोना।।
जिसदिन मंज़िल मिल जाएगी। गीत यही दुनिया गाएगी।।
दुनिया की अज़ब कहानी है। दुनिया तो ग़ज़ब सयानी है।।
ओर शोहरत के होती है। डूबे को और डुबोती है।।
संघर्ष करो आन लगाकर। चलो हमेशा जोश जगाकर।।
जीत तुम्हारी होगी प्यारे। हिम्मतवाला कभी न हारे।।
जीवन कितना सुंदर मनहर। इसको समझो उर से छूकर।।
ख़ुशियाँ ख़ुश रह भर-भर डालो। कर्म करो शुभ भाग्य उछालो।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना