कविता : शेरोंवाली माँ
माँ दुर्गा अष्टभुजाधारी।
मन को भाए सिंह सवारी।।
अग्नि सूर्य अरु चंद्र तुम्हारे।
नैन त्र्यम्बके तीन सँवारे।।
महिषासुर को मार गिराया।
नाम तभी माँ दूर्गा पाया।।
भक्तजनों की रक्षा करती।
पीर सभी की पल में हरती।।
अष्ट भुजाएँ अष्ट दिशाएँ।
सभी दिशा में दर्शन पाएँ।।
शक्ति स्वरूपा दूर्गा माता।
भक्ति करे वह फल है पाता।।
तलवार चक्र शंख कमल कर।
धनुष गदा अरु त्रिशूल रखकर।।
शेरोंवाली माँ चलती है।
शक्ति सभी माता रखती है।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना