कविता : योग हमेशा करते रहना
योग हमेशा करते रहना।
स्वस्थ रहोगे सच है कहना।।
आलस त्यागो ज़ल्दी जागो।
नींद लिए ख़ुद से मत भागो।।
बीमारी नजदीक न आए।
प्रातः योग सब दूर भगाए।।
मुखमंडल पर तेज दिखेगा।
बलशाली तन ओज लिखेगा।।
बुद्धि शुद्धि भी योग करेगा।
उर में सुंदर भाव भरेगा।।
निशिवासर तुम रहना ताज़ा।
जीवन में बनकर के राजा।।
तन सुंदर मन जग सब सुंदर।
योग देवता उर है मंदिर।।
करो सदा तुम पूजा इसकी।
हरपल पुतली मानो रस की।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना