कविता (माँ)
माँ तेरा वह लालन पालन, तेरा वह दुलराना ।
थपकी,लोरी,तुतली बोली,आँचल दूध पिलाना ।
याद बहुत आता है सब ,तुझको बहुत सताना ।
माँ तेरा वह लालन पालन, तेरा वह दुलराना ।।
छोटा था तुम छिप जाती थी,रोता था बाहर आती थी ।
छुपा छुपी तुम रोज़ खिलाती,खेल खेल में ख़ूब हँसाती।
मेरा बेटा राजा बेटा , कह कह कर फुसलाना ।
माँ तेरा वह लालन पालन, तेरा वह दुलराना ।।
कहाँ गयी हो जग जीवन से,आ जाओ तुम किसी जतन से।
आँख थकी सी जाती है , हर क्षण याद दिलाती है ।
बड़ा कठिन है बिना तुम्हारे, यह जीवन जी पाना ।
माँ तेरा वह लालन पालन, तेरा वह दुलराना ।।
रीति,प्रीति ये सब झूठी है ,लोभ,मोह लगती मीठी है ।
रिश्ते -नाते बिना तुम्हारे , फीके ही लगते हैं सारे ।
सच में नश्वर जीवन का , होता नहीं ठिकाना ?
माँ तेरा वह लालन पालन, तेरा वह दुलराना ।।
-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’
बिंदकी- फ़तेहपुर उत्तर प्रदेश