कविता- नेता जी की बंडी हो गये…
नेता जी की, बंडी हो गये
झण्डे वाली, डंडी हो गये
खरपतवार हुए सरकारी
तुम सारे, पाखंडी हो गये।
नेता जी की…
नाम बदल लो, जात बदल लो
वक्त पड़े तो, बाप बदल लो
तख्त बदल दो, ताज बदल लो
जब चाहे, औकात बदल लो
दलबदलू दलबदलू…..
दलबदलू दलदल में मिल गए
सत्ता दल की झंडी हो क्या।
नेता जी की…
टिकिट किसी भी, दल की लाओ
सिंबल बदलो, न घबराओ
जीत चुनाव, करो तुम सौदा
लालबत्ती से घूमने जाओ
सत्तासीनों.. सत्ता शौकीनों…..
धरम-करम कुछ बचा नही है
तुम कोठेवाली रण्डी हो गये
नेता जी की…
जब चुनाव तुम जीत न पाओ
पिछवाड़े से लाग लगाओ
आड़ी तिरछी चालें चलकर
सत्ता के गलियारे जाओ
तिगड़मबाज… बिगड़े सॉज…..
तिगड़म से आसीन हुये हो
सड़क नहीं पगडंडी हो गये
नेता जी की…
दीमक बनकर चाट रहे हो
घुन कीरा से काट रहे हो
शक्ल दिखी न पांच साल तक
अब घर घर रोटी बांट रहे हो
छलिया.. हलबलिया, दलबलिया..…
साधु हो तो करो साधना
बाबा बन पाखंडी हो गये।
नेता जी की…
शिलालेख पे नाम खुदाते
श्वानों से शू-शु करवाते
बड़ा शौक़ है इनको भैया
जगह जगह झण्डे गड़वाते
पंडा होगये, शुतुरमुर्ग को अंडा….
जगह जगह पर होने वाले
यज्ञ नही शतचंडी हो गये
नेता जी की…
कौए सब मिल कोस रहे हैं
कोयल को यूं नोच रहे हैं
भाड़ में जाये देश हमारा
सरकारी माल दबोच रहे हैं
कौए….हउए…..
पैसों के बल पर ये देखो
कौआ कागभुशुण्डि हो गये
नेता जी की…
लड़ो सदन में कुत्तों जैसा
जूतम-जूता फ़ागम-फाग
मिलकर खिचड़ी रोज पकाते
खादी हो गई दागम-दाग
नाकारा.. आवारा…मक्कारा..
तनिक बहुत तो लाज बचालो
तुम खिचड़ी वाली हंडी हो गये।
नेता जी की………….
दिखने में हो सीधे सादे
नियत बुरी और बुरे इरादे
करते हो नित झूठे वादे
छुरी बगल में राधे राधे
झूठे…कलूटे….बहूटे..
भीष्म प्रतिज्ञा करने वाले
कैसे आज शिखंडी हो गए।
नेता जी की……………