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21 Mar 2021 · 1 min read

#कविता//कविता क्या है?

#कविता क्या है?

#दोहे
कविता चित का नूर है,आत्मा की आवाज़।
उचित दिशा इंगित करे,समझा वो सरताज़।।

शहद सरिस मीठी लगे,लगे कभी नमकीन।
स्वाद काव्य से चेतना,भाव हरे सब हीन।।

#चौपाइयाँ

आनंद मग्न करती कविता।
ये भावों की बहती सरिता।।
तोष भरे उर मन में निश्छल।
ओज जगाए चित में पलपल।।
प्रेरित करती करती शोभित।
हरती मन को करके मोहित।।
दूर तन्हाई कर जाती है।
निकल रूह से जब आती है।।

चारु चंद्र – सी ले शीतलता।
ताप हरे मन जिससे जलता।।
ओज सूर्य – सा प्रबल बसाए।
रोशन चित कर हार हराए।।
मधुर मनोहर भाव बनाती।
मानव को मानव कर जाती।।
रहें विकार न इसको लेकर।
दीवाना करती मद देकर।।

शबनम – सी कविता चमके।
फूलों – सी कविता महके।।
इत्र रूह का कविता होती।
मित्र प्रीत के कविता बोती।।
श्वेत धूप – सी चाँदी जैसी।
पावन गंगा जल हो वैसी।।
अटल अचल भूधर – सी मानो।
मेघ झरे सावन – सी जानो।।

कविता ही शांत करे मन को।
कविता ही कांत करे तन को।।
कविता जल में रोज नहाए।
रोग – दोष निज मुक्त बनाए।।
शिल्प-अभिव्यंना है कविता।
मूल निरंजन की है गीता।।
कविता जोश चेतना का है।
कविता श्रोत प्रेरणा का है।।

इंद्रधनुष – सी कविता मनहर।
शब्द – पुष्प – तरु आभा छविधर।।
नीलगगन उषाकाल जैसी।
शंखनाद मधुरताल वैसी।।
तान बांसुरी लहरे – सागर।
अमृत भरा हो जैसे गागर।।
शीत पवन – सी बहती जाए।
कर्ण – मधुर हो हृदय चुराए।।

#आर.एस.’प्रीतम’ सृजित

Language: Hindi
2 Comments · 395 Views
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