कविता : कृष्णा की पुकार सुनो
कृष्णा की पुकार सुनो, जानो गीता का सार।
दिल से फिर पालन करो, महकाओ हर घर-द्वार।।
फल कर्मों का मेल है, देना इनपर तुम ध्यान।
यही बनें प्रारब्ध भी, चलो हृदय में ये ठान।।
प्रेम पुजारी तुम बनो, करो सत्य का हर मान।
जैसा अर्जुन ने लिया, वैसा तुम भी लो ज्ञान।।
जीत तुम्हारी हो सदा, मिले हमेशा सत्कार।
दूर बुराई से रहो, बोलो मीठे सब बोल।
मिलो सभी से हर दिवस, दिल अपना हरपल खोल।।
कभी भूल से भूलकर, पहुँचाओ मत तुम घात।
मर्म सभी का समझिए, मानवता की कर बात।।
फूल बाँटते तुम चलो, बाँटो पर मत तुम ख़ार।
क्या लेकर आये यहाँ? क्या ले जाओगे साथ?
कर्म तुम्हारे साथ हैं, खाली जाएंगे हाथ।।
फिर क्यों शोषण पाप में? होते हो तुम मदहोश।
करना तुमको है अगर, करो भला लेकर जोश।।
जीवन ये अनमोल है, सच्चा रखना व्यवहार।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना