Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2023 · 1 min read

कविता : कृष्णा की पुकार सुनो

कृष्णा की पुकार सुनो, जानो गीता का सार।
दिल से फिर पालन करो, महकाओ हर घर-द्वार।।

फल कर्मों का मेल है, देना इनपर तुम ध्यान।
यही बनें प्रारब्ध भी, चलो हृदय में ये ठान।।
प्रेम पुजारी तुम बनो, करो सत्य का हर मान।
जैसा अर्जुन ने लिया, वैसा तुम भी लो ज्ञान।।
जीत तुम्हारी हो सदा, मिले हमेशा सत्कार।

दूर बुराई से रहो, बोलो मीठे सब बोल।
मिलो सभी से हर दिवस, दिल अपना हरपल खोल।।
कभी भूल से भूलकर, पहुँचाओ मत तुम घात।
मर्म सभी का समझिए, मानवता की कर बात।।
फूल बाँटते तुम चलो, बाँटो पर मत तुम ख़ार।

क्या लेकर आये यहाँ? क्या ले जाओगे साथ?
कर्म तुम्हारे साथ हैं, खाली जाएंगे हाथ।।
फिर क्यों शोषण पाप में? होते हो तुम मदहोश।
करना तुमको है अगर, करो भला लेकर जोश।।
जीवन ये अनमोल है, सच्चा रखना व्यवहार।

#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना

Language: Hindi
212 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
वो हमसे पराये हो गये
वो हमसे पराये हो गये
Dr. Man Mohan Krishna
बंधे रहे संस्कारों से।
बंधे रहे संस्कारों से।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पास अपने
पास अपने
Dr fauzia Naseem shad
*अज्ञानी की कलम शूल_पर_गीत
*अज्ञानी की कलम शूल_पर_गीत
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
कुछ पल
कुछ पल
Mahender Singh
चलेंगे साथ जब मिलके, नयी दुनियाँ बसा लेंगे !
चलेंगे साथ जब मिलके, नयी दुनियाँ बसा लेंगे !
DrLakshman Jha Parimal
गंगा- सेवा के दस दिन💐💐(दसवां अंतिम दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन💐💐(दसवां अंतिम दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
* लोकतंत्र महान है *
* लोकतंत्र महान है *
surenderpal vaidya
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
■ सोचो, विचारो और फिर निष्कर्ष निकालो। हो सकता है अपनी मूर्ख
■ सोचो, विचारो और फिर निष्कर्ष निकालो। हो सकता है अपनी मूर्ख
*प्रणय प्रभात*
तेरे लिखे में आग लगे / © MUSAFIR BAITHA
तेरे लिखे में आग लगे / © MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
कवि दीपक बवेजा
मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए
मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
नदी जिस में कभी तुमने तुम्हारे हाथ धोएं थे
नदी जिस में कभी तुमने तुम्हारे हाथ धोएं थे
Johnny Ahmed 'क़ैस'
*निरोध (पंचचामर छंद)*
*निरोध (पंचचामर छंद)*
Rituraj shivem verma
अगर आप केवल अपना स्वार्थ देखेंगे तो
अगर आप केवल अपना स्वार्थ देखेंगे तो
Sonam Puneet Dubey
जो मिला ही नहीं
जो मिला ही नहीं
Dr. Rajeev Jain
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
Harminder Kaur
"रानी वेलु नचियार"
Dr. Kishan tandon kranti
फोन
फोन
Kanchan Khanna
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
डॉ. नामवर सिंह की दृष्टि में कौन-सी कविताएँ गम्भीर और ओजस हैं??
डॉ. नामवर सिंह की दृष्टि में कौन-सी कविताएँ गम्भीर और ओजस हैं??
कवि रमेशराज
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मॉडर्न किसान
मॉडर्न किसान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
Adha Deshwal
संबंध क्या
संबंध क्या
Shweta Soni
अंधेरे में भी ढूंढ लेंगे तुम्हे।
अंधेरे में भी ढूंढ लेंगे तुम्हे।
Rj Anand Prajapati
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
मेरी प्रेरणा
मेरी प्रेरणा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
Manoj Mahato
Loading...