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28 Oct 2024 · 1 min read

कविता की कथा

कविता की कथा
——————————–
हम कविता में कह देते हैं-
आदर्श वाक्य।
हम जीवन में सहते हैं
निंद्य वाकया।
विद्रोह अवश्य करो।

कवि अपनी कविताओं में
विद्रोह बहुत करता है।
आलोचकों की प्रशंसित-निंदा के
वाक्य बहुत सुनता है।
प्रत्युत्तर अवश्य दो।

कवितायें जितना कुछ
कह ले पाती हैं।
कथ्य उन तथ्यों को
वजह दे पाती हैँ।
तुम आतुरता अवश्य दो।

हम कविता में व्यक्त करते हैं
समाज का अव्यक्त दुःख-दर्द।
कह जो नहीं पाते हैं दिन तथा रातें।
कितना था तप्त और कितने सर्द।
आदमी निदान अवश्य दो।

हमारी कविताएँ कथानक हैं
वर्तमान संस्थानों के।
धरोहर हैं आगत पीढ़ियों के।
भविष्य हैं विधानों के।
इसे संरक्षण अवश्य दो।

हम नहीं, कभी नहीं होते।
सर्वदा व्यथाओं में रोते हैं।
हम सदा यहीं होते।
लोक गीतों में मुस्कुराते हैं।
इसे गूँजने अवश्य दो।
———————————–22/10/24

Language: Hindi
42 Views

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