Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 1 min read

कल

आजकल कल की दुनिया में
मन को मिले न कल
हर पल हर पल हर पल।
हो गये आजकल हम
कल के गुलाम
कल तक जो लेते थे
परिश्रम से काम।
अब चैन नहीं जीवन में
चल चल चल चल चल चल
हर पल हर पल हर पल।

चला गया वह कल
खुशियों से भरा था अंचल
माटी की सौंधि खुशबू
झरनो में स्वच्छ निर्मल
बहता पानी कल कल
आंगन में खटिया डालकर
सोने में कितना था कल
आकाश में तारे करते थे
झलमल झलमल झलमल
हर पल हर पल हर पल।

-विष्णु ‘पाँचोटिया’

Language: Hindi
1 Like · 63 Views

You may also like these posts

श्री चरण नमन
श्री चरण नमन
Dr.Pratibha Prakash
वो जो करीब थे
वो जो करीब थे "क़रीब" आए कब..
Priya Maithil
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Harsh Malviya
हँसी!
हँसी!
कविता झा ‘गीत’
Even If I Ever Died.
Even If I Ever Died.
Manisha Manjari
कविता
कविता
Rambali Mishra
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
Nitesh Chauhan
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
Phool gufran
*नारी के सोलह श्रृंगार*
*नारी के सोलह श्रृंगार*
Dr. Vaishali Verma
মন তুমি শুধু শিব বলো (শিবের গান)
মন তুমি শুধু শিব বলো (শিবের গান)
Arghyadeep Chakraborty
जीवन तो सुख- दुख का संसार है
जीवन तो सुख- दुख का संसार है
goutam shaw
દુશ્મનો
દુશ્મનો
Otteri Selvakumar
दुआओं में जिनको मांगा था।
दुआओं में जिनको मांगा था।
Taj Mohammad
गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही ......
गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही ......
sushil sarna
वक्त कि ये चाल अजब है,
वक्त कि ये चाल अजब है,
SPK Sachin Lodhi
उस देश के वासी है 🙏
उस देश के वासी है 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मानक
मानक
Khajan Singh Nain
पर्यावरणीय दोहे
पर्यावरणीय दोहे
Sudhir srivastava
गुलामी के पदचिन्ह
गुलामी के पदचिन्ह
मनोज कर्ण
"कुछ लोग"
Dr. Kishan tandon kranti
किताब
किताब
Sûrëkhâ
हैं फुर्सत के पल दो पल, तुझे देखने के लिए,
हैं फुर्सत के पल दो पल, तुझे देखने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुराद अपनी कोई अगर नहीं हो पूरी
मुराद अपनी कोई अगर नहीं हो पूरी
gurudeenverma198
सुप्रभात
सुप्रभात
Kumud Srivastava
अगर अयोध्या जैसे
अगर अयोध्या जैसे
*प्रणय*
मन
मन
MEENU SHARMA
"चारों तरफ अश्लीलता फैली हुई है ll
पूर्वार्थ
उलझी  उलझी  सी रहे , यहाँ  वक़्त की डोर
उलझी उलझी सी रहे , यहाँ वक़्त की डोर
Dr Archana Gupta
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
Vivek Pandey
Loading...