||{ कलम }||
कलम हूँ
मैं कमाल हूँ।
लिखता मै
बेमिसाल हूँ।
क्रांति की
बौछार हूँ।
लेखक की
तलवार हूँ।
सच्चाई की
पुकार हूँ।
समाज का
सुधार हूँ।
संसार का
आईना हूँ।
भावों का
मुआयना हूँ।
सतत आगे
बढ़ती हुई
नदियों की
धार हूँ।
शिक्षा का
प्रसार हूँ।
घटती
गतिविधियों
का सार हूँ।
भरस्टाचारियों
के लिए मैं
कानूनी
प्रहार हूँ।