Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2024 · 1 min read

कल है हमारा

गर्दिश में जो छिपा पड़ा हूँ
आसमान का हूँ मैं तारा
बीते कल ने साथ जो छोड़ा
आने वाला कल है हमारा
–कुंवर सर्वेंद विक्रम सिंह
★स्वरचित रचना
★©️®️सर्वाधिकार सुरक्षित

1 Like · 108 Views

You may also like these posts

मैं चाहता हूं इस बड़ी सी जिन्दगानी में,
मैं चाहता हूं इस बड़ी सी जिन्दगानी में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#छोटी_कविता *(बड़ी सोच के साथ)*
#छोटी_कविता *(बड़ी सोच के साथ)*
*प्रणय*
चंदन माटी मातृभूमि का
चंदन माटी मातृभूमि का
Sudhir srivastava
Book of love
Book of love
Rj Anand Prajapati
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
Ashwini sharma
खड़ा रेत पर नदी मुहाने...
खड़ा रेत पर नदी मुहाने...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पिता
पिता
Raju Gajbhiye
इस जनम में तुम्हें भूल पाना मुमकिन नहीं होगा
इस जनम में तुम्हें भूल पाना मुमकिन नहीं होगा
शिव प्रताप लोधी
🚩अमर कोंच-इतिहास
🚩अमर कोंच-इतिहास
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
''तबाह मोहोब्बत ''
''तबाह मोहोब्बत ''
Ladduu1023 ladduuuuu
ताउम्र रास्ते पे तो चलते रहे हम
ताउम्र रास्ते पे तो चलते रहे हम
Befikr Lafz
You'll never truly understand
You'll never truly understand
पूर्वार्थ
तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर..
लक्ष्मी सिंह
मैं बहुत कुछ जानता हूँ
मैं बहुत कुछ जानता हूँ
Arun Prasad
जहाँ शिव वहाँ शक्ति'
जहाँ शिव वहाँ शक्ति'
सुशील भारती
नदियाँ
नदियाँ
Pushpa Tiwari
"सोचो"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी जीने का कुछ ऐसा अंदाज रक्खो !!
जिंदगी जीने का कुछ ऐसा अंदाज रक्खो !!
शेखर सिंह
आ थू
आ थू
Acharya Rama Nand Mandal
ज़िन्दगी तेरी बनना जायें कहीं,
ज़िन्दगी तेरी बनना जायें कहीं,
Dr fauzia Naseem shad
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
Rituraj shivem verma
उल्फ़त के अंजाम से, गाफिल क्यों इंसान ।
उल्फ़त के अंजाम से, गाफिल क्यों इंसान ।
sushil sarna
मनाओ मातु अंबे को
मनाओ मातु अंबे को
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
कविता
कविता
Neelam Sharma
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
Meenakshi Masoom
3750.💐 *पूर्णिका* 💐
3750.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रहो तुम स्वस्थ्य जीवन भर, सफलता चूमले तुझको,
रहो तुम स्वस्थ्य जीवन भर, सफलता चूमले तुझको,
DrLakshman Jha Parimal
क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
* खुशियां मनाएं *
* खुशियां मनाएं *
surenderpal vaidya
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
Bindesh kumar jha
Loading...