कल का सूरज
अशिक्षा,भुखमरी,बेकारी ,
ये सभी एक सपना होगा।
आओ मिलकर हाथ बटाॅंओ,
कल का सूरज अपना होगा।
श्रम के बेधक बाणों से तो,
अंधियारे को हटना होगा।
मेहनत से जी ना चुराओ,
कल का सूरज अपना होगा।
भाषण और नारों को छोड़ो,
हमको धीरज रखना होगा।
रफ्ता-रफ्ता कदम बढ़ाओ,
कल का सूरज अपना होगा।
मंजिल हासिल होगी तभी,
पहले हमको तपना होगा।
इस समर में पीठ न दिखाओ,
कल का सूरज अपना होगा।
—प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
अलवर(राजस्थान)