कल और आज जीनें की आस
कल और आज
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कल भी राज आज भी राज
रावण बुद्धि युग युग का पापी
दया धर्म का नाम नहीं था
हिंसा ईष्या घमण्ड भरा पड़ा
प्राणों का कोई मोल नहीं था
वर्चस्व कायम रखने खून बन
पानी मैदानों नाले में बह रहा था
जगकर्ता जगद्रष्टा पालनकर्ता
दुखहर्ता देव देवी गजानन भी
असीम कष्टों से भटक रहा था
ज्ञानी पर अज्ञानी अत्याचारी
रत्न जड़ित सिंहासन पर बैठ
सत्य संहार देख घमण्डी पापी
पाप की पराकाष्ठा पर गर्व कर
ठहका मार खुशी मना रहा था
युग युगों की माता धरती विवस
हो आंसू बहा समुद्र बना रही थी
यज्ञ धर्म हवन कुण्डों में रक्त भरा
साधु सन्यासी यज्ञकर्ता भागरहा
जठराग्नि की प्रचण्ड ज्वाला से
सत्य अहिंसा रक्षा परोपकार की
गुहार दुखहर्ता से लगा रहा था
जगदीश्वर ने निज अवतारों में
पाताक पालक रावण कंश अंत
कर माँ धरा का प्राण बचाया था
सद् व्यवहार सद् वाणी ज्ञानों से
धरणीधर नें सत्य संदेश दिया था
आज रावण कंश घातक पातक
राजा मानुष दिल दिमाग स्थिरहो
पग घात लगाये बैठअवसर देख
अत्याचार वेदनाहीन धर्मआड़ ले
पापी पातक घात लगाए खड़ा है
एक दो हो तो गिना जाएअसंख्य
ठक चोर कपटी प्रपंचीभ्रष्टाचारी
चाटूकार काहिल जाहिल अपने
श्रम स्वेद तन से बहाना बंद कर
प्राण मयी लाल रक्त कणिकाएं
धरा संतानों को काट वहा रहा
पुण्य स्थिरता से बढ़ प्रशासन में
तीब्र पाप बढ़ रहे सकल जहां में
आग सुलग रही प्रजा दिलों में
भीरू बन धर्म रो रहा यहां पर
अपने वतन में हीअसमर्थ प्राणी
प्राणप्रतिष्ठा बचाने विवश होरहा
वतन प्रतिभा का भण्डार पड़ा
पर पथ नहीं पथ प्रर्दशक मौन
बंधी जीभ विषम आंखों से देख
दिल प्रलय तूफान लिए खड़ा है
सुशासन स्वरोजगार तन प्रतिक्षा
आस अरमान लगाए जन बैठा है
हे !जगदीश्वर आ धरती जहां पर
जन गण मां संतानों की रक्षाकर
फिर एकवार अलख जगा जाना
तन जन अपना दायित्व समझें
समस्या जुझनें की शक्ति समझें
सद्मार्ग सत्य कर्मवीर निडर हो
शाहस से भारत माता के संतानों
की तकदीर और तस्वीर बदलें
जग मेंआज इसी की इक मांग है
जागो जान बचालो अपनी मान
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तारकेश्वर प्रसाद तरूण
तारीख : 29-06-2023