कल्यान किया करती है
हरियाली से धरती का अनुपम, श्रृंगार किया करती है।
सूखते पौधों को सींच के ,जीवन दान दिया करती है।
सावन में झोंका साथ लिए जब आती है धरती पर,
ये बरसात अनेकों का ,कल्यान किया करती है।
बरसात के मौसम में हवा सुहानी ,मस्त किया करती है।
यही है जो सूरज के तीव्र प्रकाश को, पस्त किया करती है।
ये बरसात ही धरती के जीवों का ,ध्यान किया करती है।
ये बरसात अनेकों का ,कल्यान किया करती है।
पेड़ो की प्यास का फिक्र लिए ,रिमझिम करके आती है।
धरती पर स्नेह का परत बनाकर ,इधर उधर बह जाती है।
सूखते तड़ाग और नदी में ,नई जान दिया करती है।
ये बरसात अनेकों का ,कल्यान किया करती है।
किसान भी बरसात का इंतजार किया करता है।
एक बार नही अनगिनत बार किया करता है।
बरसात भी किसानों का सम्मान किया करती है।
ये बरसात अनेकों का कल्यान किया करती है।
– सिद्धार्थ पाण्डेय