कल्पना
अल्प ना है कल्पना, बड़ी विशाल कल्पना ।
मोक्ष को है खोजती, यही तो नाम कल्पना ।।
हँसी जवान कल्पना, हृदय गति है कल्पना ।
रुके नहीं कुछ यहां, यही तो काम कल्पना ।।
गति बड़ी है तीव्र ये, करे ना कोई कल्पना ।
हँसी मजाक जो करे, हँसी है उसकी कल्पना ।।
स्नेह से भरी हुई और ममतामयी कल्पना ।
सोच जो भी हो तुम्हारी, सृष्टी मे वो कल्पना ।।
एक पल मे नाप ले, सृष्टी को है जो कल्पना ।
बडी अजीब कल्पना, हाथ मे ना कल्पना ।।
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“ललकार भारद्वाज”