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25 Nov 2022 · 1 min read

कल्पना

मेरे मन की माटी में
बीज बन जब आए तुम
कल्पना की पौध तब
नवांकुर ले फूट आयी।
कल्पना के ये नवांकुर
वृक्ष होना चाहते है।
और ऊँचे उठकर वो
आकाश छूना चाहते है।

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