Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2018 · 3 min read

कल्पना की उड़ान

माँ क्या है ये…तुम भी न हर समय वही राग….मन नही लगता…अरे खुद ही कुछ करो …मैं क्या कर सकता हूँ ..तुमने तो हमारी परवरिश भी ठीक से नहीं की। इतना लाड़ दुलार भी बच्चे को नही देना चाहिए कि वो खुद चलना भी भूल जाये ।…..लगातार फोन में से आवाज आ रही थी कुश की । रेखा तो जैसे काठ की हो गई थी..निःशब्द….। कुश ने फोन काट दिया पर वो फोन कान से लगाये रही। मन किया पूछे ….अगर तुझे चलना नही आ पाया तो अपनी पसंद की लड़की से विवाह करना कैसे आ गया …अपने माँ बाप का अपमान करना कहाँ से आ गया…तू समझदार था तो अपनी पत्नी से हमारा सम्मान क्यों नही करा सका।अपने पापा का असमय जाना भी तुझे क्यों नहीं खला ..अपने बहन भाई रिश्तेदार पल में गैर और गैर अपने बनाना कैसे आ गया । पर व्यर्थ था कुछ कहना । 50 साल की उम्र में ही वृद्धावस्था का डर सताने लगा था । पति तो यह सदमा सह नही पाये थे उन्होंने एक दिन अचानक सोते सोते ही उसका साथ छोड़ दिया था । इकलौती संतान और इधर वो अकेली। पैसे से मजबूर नही थी। पति डॉक्टर थे काफी जायदाद और पैसा था । यही सोचते सोचते पता नही कब नींद आ गई रेखा को।
कॉल बेल की चूं चूं से नींद खुली तो देखा काम वाली बाई थी। चार दिन बाद आई थी। वो भी अपने बेटे के साथ रहती थी पति को गुजरे कई साल हो चुके थे । रोज बहु बेटे से झगड़ा होता था । उसे देखते ही गुस्से में रेखा बोली…कहाँ थी इतने दिन…न कोई खबर न आई ..पता है कितनी परेशानी हो जाती है । मंजू बाई वहीं जमीन पर बैठ गई ..कहने लगी….क्या करूँ भाभी(इसी सम्बोधन से बुलाती थी) …बेटे बहु मुझसे मकान अपने नाम कराने को कह रहे हैं रोज झगड़ा होता है इस बात पर…उस दिन तो हद ही कर दी..मुझे हाथ पैर बांधकर डाल दिया रोटी भी नही दी.. जैसे तैसे खुद को छुड़ा पुलिस स्टेशन पहुंची और रपट लिखाई ….पुलिस आई तो मैंने बेटे बहु दोनों को घर से निकाल दिया सामान सहित । अभी तो जान है मेरे शरीर मे कमा कर दो रोटी खा सकती हूं । जब जान न रही तो देखा जाएगा कुछ तो भगवान ने मेरे लिये भी लिखा ही होगा । फिर ये मकान सरपंचों के नाम लिख दूँगी ताकि मुझ जैसा कोई बेसहारा रह सके …पर औलाद को कुछ नही दे कर जाऊंगी ….फिर वो उठी और काम मे लग गई ।
रेखा सोचने लगी ….’तू भी अभी किसी पर निर्भर नही है पढ़ी लिखी है सोशल है पैसे की कमी नही है और ये अकेलापन तेरा कोई भी दूर नही करेगा न ही कोई साथ देगा । इन किटी क्लब छोड़कर क्यों नही ऐसा कुछ करती जिससे तेरा मन भी लगा रहे और समाज का भी भला हो जाये । इतना बड़ा बंगला खाली ही पड़ा रहता है क्यों नही तू भी इसमे ऐसी महिलाओं के लिये कुछ करती …. एक सुकून भरी प्रसन्नता उसके चेहरे पर छा गई …..और फिर कल्पनाएं नये पंख लेकर उड़ान भरने लगी …..

18-07-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
1 Like · 728 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
बूँद-बूँद से बनता सागर,
बूँद-बूँद से बनता सागर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अभिव्यक्ति के प्रकार - भाग 03 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति के प्रकार - भाग 03 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
" अब मिलने की कोई आस न रही "
Aarti sirsat
दोहे ( किसान के )
दोहे ( किसान के )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मुझे कल्पनाओं से हटाकर मेरा नाता सच्चाई से जोड़ता है,
मुझे कल्पनाओं से हटाकर मेरा नाता सच्चाई से जोड़ता है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
*सुकृति (बाल कविता)*
*सुकृति (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
Dr Archana Gupta
शब्द अभिव्यंजना
शब्द अभिव्यंजना
Neelam Sharma
करवा चौथ@)
करवा चौथ@)
Vindhya Prakash Mishra
"अ अनार से"
Dr. Kishan tandon kranti
"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
शेखर सिंह
I guess afterall, we don't search for people who are exactly
I guess afterall, we don't search for people who are exactly
पूर्वार्थ
पाने को गुरु की कृपा
पाने को गुरु की कृपा
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रिश्ते
रिश्ते
Harish Chandra Pande
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
हे राम हृदय में आ जाओ
हे राम हृदय में आ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
Anand Kumar
कितने बड़े हैवान हो तुम
कितने बड़े हैवान हो तुम
मानक लाल मनु
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
Phool gufran
"ब्रेजा संग पंजाब"
Dr Meenu Poonia
💤 ये दोहरा सा किरदार 💤
💤 ये दोहरा सा किरदार 💤
Dr Manju Saini
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
प्रीति क्या है मुझे तुम बताओ जरा
प्रीति क्या है मुझे तुम बताओ जरा
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
“ अपनों में सब मस्त हैं ”
“ अपनों में सब मस्त हैं ”
DrLakshman Jha Parimal
माया मोह के दलदल से
माया मोह के दलदल से
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हम और तुम जीवन के साथ
हम और तुम जीवन के साथ
Neeraj Agarwal
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा  करने की कोशिश मात्र समय व श्र
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा करने की कोशिश मात्र समय व श्र
*Author प्रणय प्रभात*
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
Buddha Prakash
Loading...