कलेजा
एक दिन मैंने जब इतिहास टटोला
तो उसका पन्ना पन्ना बोला
कि हमारे पूर्वज तो हुआ करते थे बंदर
जो कूदा करते थे इस डाली से उस डाली पर
धीरे धीरे होता गया विकास
बदलता गया इतिहास
विकास तन का ही नहीं मन का भी पाया
सुविकसित बंदर ही मानव कहलाया।
बड़े कहते हैं यह बात नहीं है बेजा
जहाँ मानव में विकसित है दिल और भेजा
जिससे उसने जमकर सम्मान है सहेजा।
वहीं बंदर में न दिमाग विकसित है
न दिल और न होता है कलेजा
हाँ, शायद बंदर में नहीं होता कलेजा।
हाँ, मानव और बंदर में यही अंतर है
मानव अगर अविकसित है तो बंदर है
पर एक बात है जो सोचते सोचते
अक्सर मेरा परिपक्व दिमाग ऊँघ जाता है।
मैं कभी समझ न सका कि पराई खुशी देखकर
किसी को तरक्की की राह पर बढ़ते देखकर
किसी की हौसला अफजाई के समय
किसी परिचित की तारीफ के समय
लोगों को न जाने क्यों सांप सूँघ जाता है।
तब मेरा अन्तर्मन अचानक मुझे समझाने लगता है
जीवन कौशल विकास का अर्थ बताने लगता है
और मुझे समझ में आ जाता है
कि दूसरे की खुशी बर्दाश्त करने के लिए
तरक्की पर वाहवाही
और कोशिशों पर हौसला अफजाई के लिए
पक्के ज़मीर वाला दिल
और नेक नीयत वाली नज़र चाहिए
और सबसे जरूरी कलेजा यानी जिगर चाहिए।
संजय नारायण