कली ने कब कहा कि हम तो ना खिलेंगे।
कली ने कब कहा कि हम तो ना खिलेंगे।
ये तो मौसमें मार है कोहरे का जरा देर से महकेंगे।।1।।
दो दिन मिलने ना आए बेवफा कह दिया।
कुछ मजबूरियां थी हम समझे थे आप ये समझेंगे।।2।।
मिलने पर ध्यान से देखना नजरों में मेरी।
मोहब्बत के सच्चे ख़्वाब आप के ही बहते मिलेंगे।।3।।
इक आप पे अकीदा था कि आप हमारे हो।
हमको ना पता था कि आप भी यूं गैरों से निकलेंगे।।4।।
जरूरी नहीं हर गुलाब टूटने पर ही रोए।
कुछ बेदर्द हवाओं के चलने पर खिलकर के रोएंगे।।5।।
शायद तुमने कभी मजबूरी को ना जिया है।
वर्ना तुम यही कहते आज से बेवफा ना तुम्हें कहेंगे।।6।।
यकीने इश्क जिंदा रखता हैं आशिकों को।
वर्ना ज़माने भरने तो कसम खा ली हैं ना मिलने देंगे।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ