कली को खिलने दो
बचपन की बातें
बचपन की यादें
बचपन के सपने
भुलाएं नहीं भूलते
बचपन के अपने
अहा! क्या कहने ।
आती है बारंबार यादें
बीते दिन/ बीती बातें
आंखों के सामने
भर जाता है दिल
हर्ष- आनंद से
क्या अपने ? क्या बेगाने ?
उनकी चंचलता
उनका भोलापन
देख -देख संग -संग
आप भी लगेंगे
स्वयं ही/ सहज ही
डोलने/ गाने/ बजाने ।
कली को खिलने दो
उसे बढ़ने और गढ़ने दो
उसे विद्यालय जाने दो
उसे अपने समाज में जाने दो
उसे अपने जन्म दिन पर
कोई पौधा लगाने दो ।
”स्वास्थ बच्चे स्वस्थ भारत”
“एक भारत ,श्रेष्ठ भारत” का
संदेश अवश्य बताएं
अच्छी आदतें अच्छे संस्कार
अच्छी परवरिश से सौभाग्य जगाएं
भूलें नहीं अपने गंदे हाथ धोने ।
अभी बचपना है
युवावस्था हैं आने
युग का जुआ एक दिन
उनके ही कंधे पर हैं आने
कल का भारत
उन्हें ही है बनाने ।
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@मौलिक रचना घनश्याम पोद्दार
मुंगेर