कलियुग
सीमित बुद्धि ,अहंकार युग चल रहा हैं। व्यक्ति अपना ही विध्वंस रच रहा है । हर घर क्लेश व्यक्ति में द्वेष हो रहा है। ईर्ष्या मन से ग्रस्त है, व्यक्ति , लाचारी का रोना, धोखा,छलावा और बहाना। सद्गुण का लोप होना। दुर्गुण और दुर्व्यवहार का बढ़ना। अतीत को वर्तमान में रोना और ढोना । जीवन शैली में भविष्य की चिंता। कहते हैं युग के अंतिम में आएंगे भगवान करेंगे हमारा कल्याण।