कलियुग की सीता
कलियुग में सीता बनोगी,
रावण उठा ले जायेगा
दुर्गा बनो तुम कलियुग में,
महिषासुर भी भय खायेगा
सीता बनो अपने राम के लिए,
कालिका बनो समाज के लिए
रावण निकट नहिं आयेगा,
नारी हो कमज़ोर नहीं
शक्ति हो, अगर शक्ति अपनी पहचानों,
माता पार्वती को देखो और जानों
सीखो और सिखाओ,अपनी बेटी को बतलाओ,
हर नर नारी को समझाओ
विपदा आनें पर अन्नपूर्णा मां, ममतामई मां कैसे धरती हैं,
विराट कालिका का रूप, जब हाथ तलवार लिए
गले में मुंडो की माला पहने,
रूप विकराल लिए करतीं वो नरसंहार हैं
देख देवता, नर नारायण,
भय खाते हैं, होते सब भयभीत हैं
नहीं कहती हूं तुम शस्त्र उठाओ,
लेकिन पहले अपनी मर्यादा स्वयं बचाओ
कोई नहीं आएगा, तुम्हारी रक्षा के खातिर
तुम ममतामई रहो, यह पहचान तुम्हारी है
याद रहे आत्मसम्मान के लिए
तुम्हें अकेले ही अपनी आवाज़ उठानी है
कलियुग की नारी हो, पड़ सकती हो भारी,
अगर जान जाओ दुनियादारी
खूब पढ़ो खूब बढ़ो, संस्कारों से शृंगार करो,
तुम ज़िम्मेदारी हो स्वयं की याद रखो
– सोनम पुनीत दुबे