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25 Dec 2022 · 1 min read

“दुर्दिन”

दुर्दिन
“”””””””””””””””””””””””””””””
वक्त के गुलाम है यहां,
फिर कौन,किसको व्यथा सुनाएगा?
लगता है कब ह्रदय गति!
क्षणिक है रुक जाएगा।
अंत काल अब शेष नहीं,
तन पंचतत्व में विलीन हो जाएगा,
ढल रहा सूरज आंखों में,
सुबह की नई किरण, कहां से आएगा?
मन में तैर रही जो झिलमिल सी खुशियां,
वो अपनापन का एहसास है,
उसकी उम्मीद भी धूमिल है अब,
दुर्दिन में संग कौन जाएगा?

वर्षा (एक काव्य संग्रह)से/ राकेश चौरसिया

Language: Hindi
1 Like · 80 Views
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