“कला”
“कला”
कला प्रस्फुटित होती है
हृदय की कोमलता से
अन्तर्मन की गहराई से,
वह स्थापित करती है
सौन्दर्य को, सत्य को
प्रेम और भक्ति को
साधना की ऊँचाई से।
“कला”
कला प्रस्फुटित होती है
हृदय की कोमलता से
अन्तर्मन की गहराई से,
वह स्थापित करती है
सौन्दर्य को, सत्य को
प्रेम और भक्ति को
साधना की ऊँचाई से।