” कलाम सा नाम करें “
“नाविक के बेटे थे वो ख़्वाबों का समंदर भरते थे,
भारत की प्रगति के सपने बचपन से देखा करते थे,
देश को मजहब से ऊपर कलाम सदा समझते थे,
गीता कुरान दोनों हाथों में, भारत को जुबां पर रखते थे,
शरीयत की बातों में खुद का ना वो उलझाये,
कलम उठाकर अग्निपंख से अंतरिक्ष को नाप दिखाए,
टोपी, तिलक, धर्म रंगों के भेद से बाहर मस्त रहे,
पाखंडो से दूर सदा मिसाइलों में ही व्यस्त रहे,
आकर्षक व्यक्तित्व था उनका, सरल स्वभाव वो रखते थे,
कभी नही ग़फ़लत में लेटे,संतो के चरणों में बैठा करते थे,
मिसाइल मेन कहलाये भारत की वो शान रहे,
लाखों दिलों में जगह बनाया मानवता की मान रहे,
जाति- धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में कुछ काम करे,
मरकर भी जो अमर रहेंगे उन कलाम सा नाम करें”