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28 May 2024 · 1 min read

कलयुग के बाबा

जब तक था जनून , तेरे दिमाग के अंदर,
तुमने बना कर रखा था, दुनिया को अपना बंदर,
आज जब सारी दुनिया के सामने, आ गए तुम्हारे कारनामे,
दुनिया के हाथो ही कर दिए गए आशाराम बापू तुम जेल के अंदर !!

क्या जरूरत थी तुम को , इस भोग विलासिता की,
क्या हवस कि खोपड़ी अभी तक खाली थी तुम्हारे मन की,
खुद तो किया इतना बुरा काम, जब हो गया तुम्हारा खेल तमाम,
नारायण को देकर साईं का नाम,लाइन पर लगा दिया उसका भी ईमान !!

कहते हैं घर का मुखिया, सुधरा हो तो परिवार सुधर जाता है,
तुम ने तो न जाने कितनो का , मुखिया बनकर कितने घर उजाडा हैं,
कैसे उस ऊपर वाले को जाकर अब अपना काला मुख मंडल दिखाओगे,
तुम से अच्छा तो वो लंगड़ा है, जो सामान बेचकर अपना घर तो चलाता है !!

मेरा नमन है उन सब को , जो अपने आत्मविश्वाश से दुनिया में जीते हैं,
तुम को मैने देखा तो नहीं, जब तुम जैसे लोग छुप छुप कर कुटिया में पीते हैं
अपनी मर्दांगनी ही अगर दिखानी थी, तुम को तो जाकर रण में कुछ दिखाना था,
यूं आज ,जब परमात्मा से मिलन कि घडी आई.,तुम को मुँह तो नहीं छुपाना था !!

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
109 Views
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
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