कलयुग का हलाहल
मृदुला , मेरु को स्टील के मग में चाय देती हुई पूछती है ,” जान तबियत ज्यादा खराब है तो मैं आज शाम की भी छुट्टी कर लेती हूँ “..?
मेरु, बिस्तर पर पड़े हुए मुँह से हल्की सी आवाज़ में खीझते हुए जबाब देता है- ऊ हीं, बिल्कुल नहीं । दोनों समय की छुट्टी ना करो। और दो घंटे की तो बात है। अब मैं पहले से ज्यादा ठीक हूँ..!
मृदुला उदास स्वर में फिर से पूछती है, अरे नही ,आप बिल्कुल ठीक नही हो। मुझे आपकी बहुत चिंता रहेगी। अभी आपके पास कोई नही है, और आप कुछ करने की स्थिति में भी नही लग रहे हो..
मेरु चाय का मग लौटाते हुए जबाब देता है,” मेरा अभी चाय पीने का मन नही कर रहा है…और चली जाओ कुछ नही होता..।
मृदुला पुनः उसी चिंतित स्वर में मेरु के माथे पर पर हाथ फेरते हुए कहती है,” तुम्हें तो दुबारा से बुखार आ गया है…” और फिर बुखार पर खीझते हुए कहती है,” ये बुखार आखिर में टूट क्यो नही रहा…? मेरु के हाथ से चाय का कप लेती है और कहती है,” कोई बात नही जान, अगर चाय पीने का मन नही कर रहा तो मत पियो । ठीक है मैं क्लिनिक जा रही हूँ। बेटा सामने बाले कमरे में सो रहा है, मैंने उसे दूध पिला दिया है। मेरे आने तक जगेगा नही… मगर मैं फोन करूँ तो प्लीज फोन उठा लेना । और मेरु के पास फोन रख कर अपने शाम के क्लीनिक के लिए चली जाती है…
मेरु पत्थर की शिला बन बिस्तर के एक कौने पर पड़े पड़े कहता है,” सोना सेफली जाना, और सेफली आना , मैं ठीक हूँ…!
इसके जबाब में मृदुला कहती है, ओके, तुम भी अपना ध्यान रखना..!
मृदुला कमरे से अपना बैग, पानी की बोतल और मुँह पर मास्क लगाकर, अपने तीसरे मंजिल के घर से नीचे उतरती है और फिर कार के रिमोट की बटन दबाकर कार खोलती है और फिर कार स्टार्ट कर अपने क्लीनिक के लिए चली जाती है..!
उधर मेरु बिस्तर के एक कौने पर पत्थर की शिला बन पड़ा हुआ है और मृदुला के जाने के हर एक कदम की आवाज़ सुनता है। रिमोट से कार खुलने पर होने वाली”क्लिक” की आवाज़ और कार स्टार्ट होने की आवाज़..सभी को..!
उसके जाने के ही बाद मेरु को बड़ी तेज़ खांसी आती है। खाँसने के बाद वह कराहता हुआ बिस्तर से मरी सी हालत में उठता है और बच्चे को देखता है, कि बच्चा बिस्तर पर पँखे के नीचे अपना मुँह फाड़कर और पैर फैला कर सो रहा है। मेरु उसके कमरे का दरवाजा ,जो बालकनी की तरफ था, उसे खोलता है और कुर्सी खींचकर बालकनी में बैठ जाता है।
मेरु कमरे में रखी टेबल पर देखता है कि उस पर पूजा की थाली जिसमे प्रसाद, लौटे में जल और सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा की पुस्तक रखी हुई है । तभी मेरु सोचता है कि सायद आज पूर्णिमा है और मृदुला पूर्णिमा का व्रत रखती है, इसलिए यह सब टेबल पर रखा हुआ है क्योंकि मृदुला ने सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा पढ़कर अपना व्रत खोला होगा…।
मेरु कुर्सी पर बैठा हुआ बालकनी में धीरे धीरे खाँसता रहता है और कभी कभी बड़ी जोर से भी खाँसता है किंतु हर समय आह..आह..करते हुए कराहता रहता है। उसके पूरे शरीर मे बहुत दर्द है और सिर में भी..उसकी नाक से पानी लगातार बह रहा है। जिसे वह बार बार रुमाल से पोछता रहता है.. और खाँसी इतनी तेज है कि खांसते समय उसे ऐसा लगता है कि खांसते समय कहीँ उसका सिर बाहर ना निकल आये । इसलिए वह सिर पकड़कर खाँसता है।
उधर मृदुला मायूस और चिंतित मन के साथ कार चलाती हुई सत्यनारायण भगवान से प्रार्थना करती है कि,” है भगवान इनका बुखार उतर जाए, वस अब बहुत हो गया। आज दूसरा दिन है और शरीर अब भी तप रहा है । लगातार बुखार बताओ किसे रहता है…”
ऐसा नही कि मरीजों को लगातार बुखार नही रहता, रहता है। मेरु को तो अभी बुखार का दूसरा ही दिन था लोगों को तो लगातार दस दस दिन बुखार बना रहता है। मृदुला डॉक्टर है वह इस बात को भलीं भाँति जानती है किंतु जब अपने दर्द होता है तो पूरे ज्ञान की डिग्रीयां दर्द के साथ ही उड़ जाती है और व्यक्ति का स्वभाव एक सामान्य व्यक्ति की भांति हो जाता है। जो केबल यही चाहता है कि उसका दर्द जल्दी दूर हो जाय…!
इसके साथ ही मृदुला मन ही मन अपने जेष्ठ भाई पर भी खीझती कहती है कि,” वैसे तो कह रहे थे कि मैं सब देख लूंगा, किन्तु सुबह से गये है, एक बार भी फोन करके यह तक नही पूछा कि मेरु की तबियत कैसी है..? उसका कोरोना रेपिड एंटीजन टेस्ट का क्या परिणाम आया है..? वो तो छोड़ो एक वार भी यह महसूस नही किया कि साढ़े आठ महीने के गर्भाधान की अवस्था मे मृदुला , मेरु का कोरोना टेस्ट कराने कैसे लेकर जाएगी..? वो भी साथ मे सवा तीन साल के बच्चे को लेकर…। उन्होंने तो वस अपनी औपचारिकता पूर्ण कर दी कि मैं चला जाता हूँ, इन्होंने मना कर दिया और उनको मौका मिल गया। अरे अपने सगे भाई को कोई इस हाल अकेला छोड़ता भी होगा। सच तो ये है कि जब से घर आये है तब से अपने यार-दोस्तों के आस पास घूमे जा रहे हैं, बिल्कुल भी इस बात की चिंता नही की कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी दी हुई है। साथ मे घर मे एक प्रेग्नेंट लेडी और एक छोटा बच्चा भी है। और उनको एक दो दिन पहले ही तो बुखार-खांसी और दस्त हुए थे ,अब उनसे ही इनको तीसरे दिन हो गया।
यही सब सोचते हुए, मृदुला को मेरु की बात बार बार ध्यान आ रही थी कि, “मृदुला भारत का सत्यानाश इन्ही पढ़े-लिखे और बड़े बड़े पदधारी लोगों ने ही किया है। इनके गैर जिम्मेदार पूर्ण व्यवहार और रिस्वत के लालच ने भारत देश को उजाड़ कर रख दिया है। जितना भी विकास हुआ है उसमें कुछ इनकी भागीदारी है बाकी तो जनता ने स्वयं को अपने स्तर से आगे बढ़ने का प्रयास किया है । यह तो सामान्य सी ही बात है कि इन बड़े बड़े पदधारियों और नेताओं की मासिक तनख्वाह और भत्ते इतने नही होते कि ये लोग करोड़ों रुपए कमा ले, किन्तु कमाते हैं। नेता और अधिकारी भ्रस्टाचार की मिली जुली संस्था है। हर कोई हर किसी के बारे में सब जानते हुए भी कोई किसी से कुछ नही कहता। इन लोगों में विस्व के सभी ऐब पाये जाते है सिवाय भलमनसाहत को छोड़कर। और सबसे बड़ी बात तो यह कि ये लोग देश और जनता की हर चीज पर अपना अधिकार मानते हैं, फिर चाहे जनता का प्रेमभाव हो या फिर गुलामी। इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा सतर्क रहना चाहिए, ये संवेदनहीन और अति स्वार्थी होते है..”
यही सब सोचते हुए मृदुला बहुत खिन्न थी और सोच रही थी कि जब अपने सगे भाई के लिए इनका ऐसा व्यवहार है तो देश की आम जनता को ये क्या समझते होंगे…
यही सब सोचते हुए मृदुला अपने क्लीनिक पहुंच गई। उसके मायूस और चिंतित चेहरे को देखकर मृदुला की सहायिका,मोनिका ने उससे पूछा,” मैडम क्या बात है आप बहुत परेशान लग रही है..?
मृदुला ने अपने चेहरे की अभिव्यक्ति को बदलते हुए कहा नही मोनिका जी ऐसी कोई बात नही है…
-मोनिका ने फिर से पूछा फिर इतनी चिंतित क्यो हो..?
– मृदुला ने उसके प्रश्न और अपनी वास्तविक व्यथा को छुपाते हुए कहा, मोनिका जी जैसे जैसे डिलीवरी के दिन नजदीक आ रहे हैं, वैसे वैसे एक घवराहट सी बढ़ती जा रही है..
” वास्तव में कोरोना संक्रमण को लेकर आम और खास सभी लोगों में भय व्याप्त था। लोग संक्रमित व्यक्ति से बात करना तो दूर उसे देखना भी नही चाहते थे। इसीकारण मृदुला अपनी वास्तविक परेशानी को छुपा कर, मोनिका को कुछ और बात बता दी।”
– मोनिका ने हंसते हुए कहा, अरे मैडम आप तो डॉक्टर हो जब आप ही ऐसी बातें सोचोगे तो आम लोगों का क्या होता होगा…?
और आपकी तो यह दूसरी डिलीवरी है इसलिए आपको पहले का अनुभव भी है ।
इसलिए घवराओं मत केवल एक नन्हें से फूल को अपने हाथों में लेने का इन्तजार करो..।
– मोनिका की सकारात्मक बातें सुन मृदुला की आँखों से गोल-गोल, मोटे-मोटे आँसू झलक आये..
“ये आँसू उस व्यथा के थे जिससे मृदुला जूझ रही थी, और जैसे ही मोनिका के प्यार और सांत्वना देने बाले शब्द मृदुला के व्यथित हृदय पर पड़े, वह मोटे-मोटे आँसुओं में निचुड़ गया। वास्तव में मृदुला को इस समय इसकी जरूरत भी थी..”
यह देख मोनिका ने मृदुला का हाथ थामकर कहा,” अरे मैडम आप ये क्या कर रही हो…? कोई और बात तो नही है…?”
मृदुला ने आँसू पौंछते हुए भर्राई आवाज़ में जबाब दिया,” नही नही ,सब ठीक है…”
‘मोनिका की उम्र मृदुला से ज्यादा थी जिससे उसे सामाजिक अनुभव भी ज्यादा था। क्योंकि वह मृदुला के साथ काम करने से पहले कई और जगह भी काम कर चुकी थी। इसलिए अपने अनुभव के साथ माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए वह मृदुला से बोली
,” मैडम जब मजा लिया है तो सजा तो भुगतनी पड़ेगी..”
– एक गम्भीर और समझदार व्यक्ति के मुँह से ये शब्द सुनकर मृदुला एक झटके के साथ अपनी हंसी नही रोक पायी…और गर्दन नीचे कर हल्के से हँसने लगी ।
– और फिर मृदुला की हंसी देखकर मोनिका ने हँसते हुए अपनी बात को पुनः दोहराते हुए कहा,” सही बात है ना मैडम…?
यही कारण था कि मेरु ने मृदुला को शाम का क्लीनक करने से नही रोका.. क्योकि वह जानता था कि मृदुला भले ही डॉक्टर है किंतु उसकी बीमारी और लक्षणों से परेशान है। और ऊपर से उसको साढ़े आठ महीने के गर्भाधान से होने बाली मानसिक और स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या भी ।..और भैया के आने से उसके ऊपर जिम्मेदारियां भी बढ़ गयी है। जिससे उसके शरीर को आराम नही मिल पा रहा है, जिसने उसे कुंठित कर दिया है ।
ऐसा बिल्कुल नही था कि वह जेठ जी के आकर उनके साथ घर मे रहने से परेशान थी, बल्कि जब जेठ जी आये थे तब वह बहुत खुश हुई थी कि चलो कोई तो उनके दो कमरों वाले सरकारी घर मे रहने आया और वो भी इतना बड़ा पदधारी व्यक्ति..! किन्तु जेठ जी के गैर जिम्मेदार और स्वार्थी व्यवहार से वह बहुत खिन्न हो चुकी थी। और सबसे बड़ी बात तो यह कि भले ही पति ,अपनी पत्नि के साथ होने बाले गलत व्यवहार को नजरअंदाज कर दे किन्तु पत्नी बिल्कुल भी नही कर सकती।
इसलिए मृदुला के मन मे इन सभी बातों से कुंठा घर करती जा रही थी। मेरु की बीमारी ने इस कुंठा को और ज्यादा बढ़ा दिया था। मृदुला को उम्मीद थी कि मेरु की इस हालत में जेठ भाई उसके साथ रहेंगे किन्तु इस नही हुआ। इसलिए इस दवाव को निकालने के लिए ही मेरु ने उसे शाम के क्लीनक के लिए जाने दिया। जिससे वह अपने स्टाफ से और मरीजों से मिलेगी तो कुछ हल्की हो जाएगी..”
मृदुला, मोनिका की इस नटखट मजाक से सरमा गयी और कमर पर हाथ रखते हुए अपनी कुर्सी पर जा बैठी…
– कुर्सी पर बैठते ही मृदुला ने सबसे पहले मेरु को फोन मिलाया और पूछा,” अब तबियत कैसी है..?
– मेरु ने कमजोर हाथों से फोन उठाकर कमजोर स्वर पर जोर डालते हुए कहा ठीक है, कोई चिंता की बात नही..
मृदुला ने फिर से पूछा बीमारी का कोई नया लक्षण तो नही आया..?
मेरु ने जबाब देते हुए कहा, नही ..वस नाक से पानी ज्यादा निकल रहा है और लगातार छींके आ रही है…
-मृदुला ने मेरु को साहस देते हुए कहा डरने की कोई बात नही है जान, सब ठीक हो जाएगा। मुझे ऐसा लगता है कि यह वाइरल बुखार है..! इसलिए तुम ऐसा करना आधे आधे घण्टे के बाद आर्सेनिक एलबम थर्टीन मेडिसिन लेते रहना…” क्योकि मृदुला एक होम्योपैथिक डॉक्टर थी इसलिए उसने मेरु को एक होम्योपैथिक दवाई खाने के लिए बताई..”
मेरु ने कहा थी है…ठीक है और वह फोन पर बात करते हुए तुरन्त उठा और ड्रैसिंग टेबल खोलकर वह दवाई ले ली..
इसके साथ ही मृदुला ने मेरु से पूछा, ” आपकी साँस तो नही फूल रही..? या फिर चेस्ट के पास दर्द तो नही हो रहा..? या फिर चलने-उठने-बैठने में सांस लेने में तकलीफ तो नही हो रही..?
” ये सभी सवाल मृदुला के लिए बहुत जरूरी थे क्योकि कोरोना संक्रमण के व्यक्ति को साँस लेने में पहले दिक्कत आती है और फिर धीरे वही दिक्कत बढ़ती जाती है और व्यक्ति मर जाता है । इसलिए ही कुछ माह पहले जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर
अपने उच्चतम स्तर पर , तब ऑक्सिजन की कमी से बहुत सारे मरीज वे-मौत मरे थे.! इसलिए मृदुला मेरु से यही सवाल बार बार करके उसकी बीमारी को जांच रही थी..”
– किन्तु मेरु ने मृदुला के सभी सबालों का एक साथ जबाब देते हुए कहा..” अभी तक ऐसा कुछ नही है, सब ठीक है…
” वास्तव में मृदुला और मेरु ने आज सुबह ही कोरोना परीक्षण जांच कराई थी। जिसमे उनकी रेपिड एंटीजन रिपोर्ट नकारात्मक आयी थी किन्तु मृदुला कोरोना संक्रमण से डरी हुई थी क्योकि कोरोना संक्रमण का ना तो कोई इलाज था, ना कोई विशेष लक्षण और मृत्यु दर बहुत ज्यादा। उसमें भी सरकार की घोर लापरवाही ,जैसे- दवाई, अस्पताल में बिस्तर और ऑक्सिजन की कमी, ने इस संक्रमण के लिए कोड़ में खाज का काम किया था। उसके बाद भी जब आज मृदुला और मेरु कोविड-19 जाँच कराने गए तो नमूना लेने में इतनी लापरवाही और गैर पेशेवरता थी कि मृदुला उस जांच से संतुष्ठ नही हुई। वह इसलिए भी बहुत चिंतित थी क्योकि मेरु की बीमारी के लक्षण लगातार बढ़ते ही जा रहे थे…”
मेरु अपनी बीमारी के लक्षणों को इसलिए छुपा रहा था क्योंकि मृदुला साढ़े आठ माह से गर्भवती थी और उसकी डिलीवरी की तारीख नजदीक आ रही थी। इसलिए वह उसे कोई और दिक्कत नही देना चाहता था। और वैसे भी मेरु को विस्वास था कि वह कोरोना संक्रमित नही हो सकता क्योंकि तीन महीने पहले ही वह कोरोना संक्रमित हुआ था…!
इसलिए मेरु को यह पारम्परिक रूप से इस बरसाती मौसम में होने वाला वायरल बुखार लग रहा था…
मृदुला ने फोन पर मेरु से कहा कि मैं साढ़े आठ बजे तक आ जाऊंगी, और बेटे को मैने बोतल का दूध पिला दिया था, इसलिए वह मेरे आने तक सोता रहेगा..। और हाँ घर का कोई काम मत करना मैं आकर देख लुंगी..!
– मेरु ने मृदुला की बात का सकारात्मक उत्तर देते हुए कहा ठीक है…आ जाना आराम से और ज्यादा टेंसन नही लेनी है…ओके..
– मृदुला ने भी ओके कहकर फोन रख दिया और उधर मेरु ने भी फोन रख दिया..
-मेरु के बदन में दर्द,सिर में दर्द, कमजोरी लगातार बढ़ती जा रही थी… किन्तु वह बैचैन नही था.. वह बार बार मृदुला की मनोस्थिति को समझने की कोशिस कर रहा था…
” क्योकि एकल परिवार में केवल आजादी और स्वार्थ के सिवाय दिक्कतें ही दिक्कतें होती है । और ऐसा नही कि मृदुला कोई कमजोर महिला है, बल्कि वह मेरु से भी ज्यादा कर्मठ,ईमानदार,धार्मिक और मेहनती है। वह चाहती है कि वो भी इस शहर में अपना एक निजी घर ले सकें, जिसमें कम से कम तीन कमरें जरूर हो। क्योकि वह एक कमरे में अपने सास-ससुर को बुलाकर अपने साथ रखना चाहती है। जिससे उनको जीवन के आखिरी पडाव में अकेलेपन,अस्वीकारता से ना गुजरना पड़े और दोनों को अलग-अलग ना रहना पड़े। जो उनको पाँच-पांच बेटे और पाँच बहुओं के होने पर भी सहन करना पड़ रहा था। भले ही उनके चार पुत्र सरकार के अच्छे अच्छे पदों पर बैठें हो फिर भी उनमें और उनकी पत्नियों में बूढ़े माँ-बाप के प्रति सहानुभूति और अपनापन ना के बराबर था। किन्तु मृदुला परिस्थितियों की नकारत्मक स्थिति के कारण चाहते हुए भी अपने सास- ससुर को साथ नही रख पा रही थी, क्योकि उसके सरकारी घर में, जो मेरु की सरकारी नौकरी के कारण मिला हुआ था, मात्र एक छोटा कमरा था और एक छोटा ड्राइंग रूम था। इतने छोटे घर मे उसके सास ससुर रहने के लिए तैयार नही थे । उसलिए वह अपना एक बड़ा घर चाहती थी। जिसके लिए वह घर और अपने व्यवसाय में पूर्णरूप से समर्पित एवम ईमानदार थी। वह चाहती थी कि वित्तीय स्थिति से मेरु को होने बाली चिंता को भी वह दूर कर सके। एक तरफ दो सालों से आये कोरोना संक्रमण ने मृदुला के मरीजों की संख्या को घटा दिया था तो अचानक लगे सम्पूर्ण लोकडॉन ने कई महीनों तक उसकी मासिक कमाई को खत्म कर दिया था वहीं दूसरी तरफ लोकडॉन के बाद बढ़ने बाली महंगाई ने उसके मासिक खर्च को भी अस्त-व्यस्त कर दिया था। कुछ दिनों बाद उसकी डिलीवरी थी और डिलीवरी के बाद कुछ महीनों तक क्लीनिक नही जा सकेगी। जिससे उसकी मासिक कामाई पर पुनः नकारात्मक प्रभाव पड़ना था। इन सभी के कारण भी वह बहुत चिंतित थी। जिसे वह मेरु को बगैर बताये खुद ही सहन कर रही थी..”
रात के साढ़े आठ बज गए थे, मृदुला आखिरी मरीज के लिए दवाई लिखकर घर जाने के लिए अपना बैग तैयार करने लगी । वहीं मोनिका ने भी उस मरीज को दबाई दी और घर चलने के लिए तैयार हो गयी । मृदुला ने मोनिका को बाय कहा और घर जाने के लिए कार की तरफ सीढ़ियों से उतरने लगी। तभी मोनिका ने मृदुला के चेहरे को देखा तो उसे कुछ सकून हुआ कि अब मृदुला पहले से ठीक है। इसलिए उसने उससे कहा कि , ” मैडम अब आप ठीक हो..?
– मृदुला ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा कि हां अब मैं पहले से ठीक हूँ..
मोनिका ने हंसते हुए कहा कि मैडम आप बहुत अच्छे हो और अच्छे लोगों का भगवान साथ देता है। इसलिए ज्यादा टेंसन नही लेते है।
मृदुला ने भी हंसते हुए मोनिका की बात का जबाब दिया और कहा कि आप भी बहुत अच्छे हो…
मोनिका बाकपुटता में निपुण थी इसलिए उसने मृदुला की बात का तुरन्त जबाब देते हुए कहा कि ,” मैडम तभी हम दोनों की बहुत पटती है..” और यह कहकर मोनिका हँसने लगी..!
” वास्तव में मोनिका उम्र और सामाजिक अनुभव से मृदुला से बड़ी थी। मृदुला की स्थिति देख कर वह समझ गयी थी कि कोई असामान्य परेशानी ही है, इसलिए मैडम ने सुबह की छुट्टी की और शाम को मैडम की आँसू भरी आँखें थी। किन्तु वह उस गहराई में नही जाना चाहती थी क्योकि वर्तमान जीवन की सुविधा और तकनीकी ने मनुष्य के दिल से प्रेमभाव खत्म कर दिया है। इसलिए सहर में रिश्तों का बिखरना दिन-रात की तरह है। किन्तु इसबार मोनिका का मृदुला के प्रति अंदाजा गलत था..”
बगल की डेरी से बंद पॉलिथीन का दूध लेकर मृदुला कार में बैठकर घर की तरफ जाने लगी। किन्तु सहर के जानलेबा ट्रैफिक ने मृदुला की जल्दी को और भी ज्यादा देरी में बदल दिया था। इसप्रकार पहले से चितिंत मृदुला को ट्रैफिक ने और भी ज्यादा परेशान और खिन्न कर दिया था। किंतु ऐसा नही कि ऐसे ट्रैफिक का वह पहली बार सामना कर रही थी, बल्कि यह तो हर रोज की बात थी। किन्तु मृदुला के लिए आज का समय ज्यादा महत्वपूर्ण और जरूरी था। इसलिए एक समान रफ्तार से चलने बाला समय आज उसे कछुए की चाल से चलता हुआ महसूस हो रहा था।
ट्रैफिक से युद्ध करके, मृदुला घर पहुंच गई और फिर कार से निकलकर और अपनी कमर पर हाथ रखकर मृदुला तीसरे मंजिल पर स्थित अपने घर भी पहुंच गयी। घर आकर उसने बिना बैग उतारे पहले मेरु को देखा और उसके हाल चाल पूछे और फिर मोबाइल पर यू ट्यूब देखते बच्चे को अपनी गोदी में उठाकर मेरु के पास आकर बैठ गयी..
मेरु से मृदुला ने पूछा, बुखार कितना है मापा क्या…?
कुर्सी पर कमजोर और बुखार से टूटे पड़े मेरु ने जबाब दिया अभी नही मापा..
मृदुला ने अपने बैग से सफेद रंग का डिजिटल थर्मामीटर निकाला और कहा इसे मुँह में लगाकर अपना तापमान मापो..
-मेरु ने उसके हाथ से थर्मामीटर लेकर अपने मुँह में लगाया और जब थर्मामीटर से एक आवाज़ ‘ च्यी ‘ आयी तो मेरु ने देखा कि उसे 102 डिग्री फारेनहाइट बुखार है…
मृदुला ने उसके तापमान को देखकर मेरु को जल्दी से अंग्रेजी दवाई दे दी और फिर खाना बनाकर उससे कहा कि, चलो खाना खा लो..
मेरु ने खाना खाने से इनकार करते हुए कहा कि आज मुझसे खाना नही खाया जाएगा !.मेरा आज खाने के लिए बिल्कुल भी मन नही है..
मृदुला ने चिंतित स्वर में कहा, मेरु आप एंटीबायोटिक ले रहे हो, और साथ मे कई और दवाई भी, इसके लिए खाना खाना बहुत जरूरी है बरना कमजोरी बढ़ती जाएगी और ठीक नही होंगे.. इसलिए खाना खा लो, मैंने लोकी की सब्जी बनाई है कुछ खा लो…!
टेबल पर एक प्लेट में सब्जी और दो रोटियां रख कर मृदुला ने दुबारा बोला चलो खाना खा लो, बरना आज मेरा व्रत भी नही खुल पाएगा…
मृदुला आज सत्यनारायण भगवान का व्रत थी, इसलिए मेरु ने वे-मन से खाना खा लिया और फिर मृदुला ने भी पूजा करके खाना खाया और अपने शैतान बेटे को भी डाँटते हुए खाना खिलाया..
– सभी खाना खाकर सो गए..! आज उमस भरा मौसम होने के बाद भी मृदुला ने आज ऐसी नही चलाया केवल तेज़ी से पंखा चलाया सो गए।
– मृदुला को जल्दी से नींद आ गयी थी क्योकि वह आज बहुत थक चुकी थी और उसका बेटा भी आज बिना शैतानी किए सो गया था..। किन्तु मेरु को नींद नही आ रही थी..दवाई का असर जब तक रहा तब तक उसके बुखार नही आया और जैसे ही दवाई लेने के 6-7 घण्टे पूरे हुए, मेरु को पुनः बुखार चढ़ने लगा..
इस समय रात के दो बजे हुए थे..मेरु बिस्तर पर इधर-उधर करबटें ले रहा था..अब उसको ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी सांसे फूल रही हो…
” वास्तव में मेरु को बचपन से ही हल्का-फुल्का अस्थमा था। और साल में एक या दो बार मेरु इससे पीड़ित भी होता था। इसलिए रात को जब उसकी सांस हल्की-फुल्की फूलने लगी तो मेरु को लगा कि उसको उसी अस्थमा का प्रकरण हो रहा है..। इसलिए वह मृदुला को बिना बताये बिस्तर से उठा और दूसरे कमरे में गया और अलमारी में रखे इन्हेलर को लेकर उससे एक दो बार इनहेल कर लिया…
इनहेल करने के बाद मेरु को सांसों में थोडा बहुत आराम हुआ उर वह पुनः बिस्तर पर जाकर लेट गया…
लेकिन कुछ ही देर बाद मेरु को पुनः सांस लेने में दिक्कत होने लगी..और इस बार यह दिक्कत पहले से ज्यादा थी…
उसने गहरी गहरी सांस भरते हुए बगल में लेटी हुयी मृदुला को अपने हाथ से उसका कंधा पकड़कर उसे झकजोर दिया और सांस चढ़ाते हुए बोला… मृदुला…मृदुला..!!
मृदुला ने जब मेरु की इस हालत को देखा तो गहरी नींद से एकाएक उठने के बाद भी उसकी चेतना बहुत जल्दी जाग्रत हो गयी..और उसकी इस स्थिति को देखकर उसकी छाती को मलने लगी और साथ ही अपने मम्मी-पापा को फोन किया… किन्तु रात के दो बजे थे, सब गहरी नींद में सोए हुए थे… अतः फोन नही उठा..
फिर उसने ना उम्मीद होते हुए भी अपने जेठ भाई को फोन किया, जो सुबह से घर से निकले थे और अभी तक भी नही पता था कि वो कहाँ पर है और ना ही उन्होंने मेरु की तबियत के बारे में पूछा था कि क्या स्थिति है, किंतु वो भी नही उठा..
इसलिए मृदुला ने मेरु को साहस देते हुए तीसरे मंजिल की सीढ़ियों से उसे उतार कर कार में बैठाया और फिर पुनः सीढ़ियां चढ़ कर अपने बेटे को गोदी में लेकर नीचे आयी..!
रात के दो बजे हुए थे ,सड़क पर बड़े बड़े ट्रक ही ट्रक दिख रहे थे और उनके आस पास कुछ पुलिस बाले और इधर उधर भोंकते हुए कुत्ते । अंधेरी रात थी और चारो तरफ घुप्प अंधेरा छाया हुआ था । मृदुला ने पीछे की सीट पर मेरु को लिटा दिया और आगे की सीट पर अपने सोते हुए बच्चे को सीट बेल्ट लगाकर कर पुनः सुला दिया। कार की चारों खिड़कियों के शीशे नीचे कर मृदुला भगवान का जाप करती हुई, कार चलाकर एक सरकारी अस्पताल पहुंच गई…और फिर सीधे वहाँ की इमरजेंसी में चली गयी और चीखते हुए बोली प्लीज हैल्प… प्लीज हैल्प…
उसकी आवाज़ सुनकर अस्पताल के एक दो स्टाफ बाहर आये और मृदुला से पूछा क्या हुआ…? लेबर पैन हो रहे हैं क्या..?
” मृदुला ने पजामा और टीशर्ट पहना हुआ था, जिससे उसके साढ़े आठ माह के गर्भाधान से बड़ा हुआ पेट आसानी से दिख रहा था। इसलिए ही अस्पताल के स्टाफ ने उससे यह सबाल किया..”
मृदुला ने अस्पताल कर्मी से रोते हुए कहा कि मेरे पति की साँसे टूट रही है प्लीज उनको बचाओ..
अस्पताल कर्मी से मृदुला से पूछा क्या हुआ है उनको और वो कहाँ है…?
-मृदुला ने उससे कहा कि वो कार में लेटे हुए है। शायद उनको कोरोना है इसलिए उनको साँस लेने में बहुत दिक्कत आ रही है..
तभी कुछ देर में वहां पर एक डॉक्टर आया और उसने मृदुला से पूछा क्या वो कोरोना संक्रमित है..?
-मृदुला ने रोते हुए कहा डॉक्टर साहब जो भी है उन्है बचाओ, उनकी साँसे उखड़ रही है.! उन्है जल्दी से वेंटिलेटर पर ऑक्सिजन दो..!
डॉक्टर ने पुनः मृदुला से पूछा क्या वो कोरोना संक्रमित है…?
मृदुला ने इलाज के लिए झूठ बोलते हुए कहा हां वो पोसिटिव है…प्लीज उनको जल्दी से ऑक्सिजन लगाओ बरना बो नही बचेंगे…
– मृदुला का जबाब सुन डॉक्टर बोला, मैडम इस अस्पताल में कोविड बैड नही है आप और किसी अस्पताल में ले जाओ..
-मृदुला ने रोते हुए और डॉक्टर के सामने अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा, सर प्लीज पहले उनकी स्थिति देखो वो इस हाल में नही है कि मैं उनको एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर जाऊ..
– डॉक्टर ने मृदुला की बात का जबाब देते हुए कहा – हां , मैं आपकी बात समझ रहा हूँ किन्तु हम मजबूर है क्योकि हमारे पास कोई भी कोरोना बैड नही है…इसलिए आप देरी न करो जल्दी से उनको दूसरे अस्पताल ले जाओ..
– मृदुला ने रोते हुए कहा सर मेरी स्थिति देखो मेरा डिलीवरी पीरियड चल रहा है और कार में मेरा तीन साल का छोटा बच्चा भी है…सर इस स्थिति में इतनी रात को कहां कहाँ भागूंगी..इसलिए आप सामान्य इमरजेंसी के वेंटिलेटर बैड पर इनको भर्ती कर लो। जैसे ही इनकी स्थिति सुधरेगी मैं कोरोना अस्पताल में ले जाऊंगी..
-किन्तु डॉक्टर अपनी बात पर जस का टस रहा और कार में साँसों के लिए झुझते मेरु को देखे बिना ही अस्पताल के अंदर चला गया…
मृदुला रोती रही और उसने वहाँ खड़े अस्पताल कर्मीयों से पूछा, जो उससे काफी दूर जाकर खड़े हो गए थे, कि भैया यहाँ पर कोविड बैड वाला दूसरा अस्पताल कहाँ है..?
एक अस्पतालकर्मी ने मृदुला को एक अन्य अस्पताल का नाम बताया और कहा जल्दी से जाओ…
मृदुला पुनः कार में बैठ गयी और उसने देखा कि मेरु अभी भी बड़ी बड़ी साँसे ले रहा है…
उसने जल्दी से कार घुमाई और उसी अस्पताल में जा पहुंची जिसका पता अस्पताल कर्मीयों ने बताया था…
वहां पर उसने कार कोविड बैड वाली इमरजेंसी के बाहर ले जाकर खड़ी कर दी…
और इमरजेंसी में घुसते हुए जोर जोर से चीखने लगी प्लीज हेल्प…प्लीज हेल्प..
किन्तु इसबार मृदुला की आवाज़ सुनकर वहाँ कोई नही आया । फिर मृदुला ने इधर-उधर देखा कि वहां पर केवल लाइट ही जली हुई थी किन्तु कोई नही था । …इसलिए वह भागती हुई मुख्य अस्पताल गयी और चीखने लगी प्लीज हेल्प, प्लीज हेल्प ..
उसकी आवाज सुनकर ऊँघते हुए कुछ अस्पताल कर्मी बाहर आये और मृदुला से पुछने लगे,” क्या हो गया मैडम…?
मृदुला ने कहा सर प्लीज जल्दी से मेरे पति को वेंटिलेटर पर ऑक्सिजन लगाओ, बरना वो नही बचेंगे…
अस्पतालकर्मी बोला मैडम आप कोविड इमेरजेंसी में जाओ.. वही पर भर्ती कराओ उनको..
-मृदुला ने रोते हुए कहा सर प्लीज उनको बचा लो…जल्दी से ऑक्सिजन लगाओ…
वहाँ कोविड इमेरजेंसी में कोई नही है..
– अस्पताल कर्मी बोला मैडम आप उनको कार से उतारिये मैं तब तक वहाँ पर किसी को भेजता हूँ…
-मृदुला जल्दी से कार की तरफ भागी और कार का गेट खोलकर मेरु को संभालते हुए कोविड बार्ड में पहुंच गई…
अब वहाँ पर एक डॉक्टर एक एक पुरुष नर्स खड़ा हुआ था । डॉक्टर ने जमीन पर लेटे हुए और बड़ी बड़ी साँसे लेते हुए मेरु की तरफ इसारा कर मृदुला से पूछा क्या ये कोरोना संक्रमित है..?
मृदुला बोली आज जब इनका रेपिड एंटीजन टेस्ट कराया था, तो नेगेटिव परिणाम था..
मृदुला की इतनी ही बात सुन कर डॉक्टर बोला फिर इन्हेँ आप यहाँ क्यो ले आयी…
ये तो कोविड पोसिटिव बार्ड है…
-मृदुला बोली हां सर , मगर वो सौ प्रतिशत कोरोना पोसिटिव है सर…
रोती हुई और हाथ जोड़ती हुई मृदुला डॉक्टर से अपने पति के जीवन की भीख मांगने लगी और बोली सर प्लीज पहले इनको एक बार देख लो उसके बाद ही कुछ कहना..
डॉक्टर बोला आप ऐसा करो इनको सामान्य इमेरजेंसी में भर्ती कराओ , वहीं पर इनका इलाज प्रारंभ होगा..और वहीं पर इनको वेंटिलेटर पर रखा जाएगा..
मृदुला के पास इतना समय नही था कि वह डॉक्टर के साथ बहस कर सके । इसलिए उसने डॉक्टर से बहस किए बिना सामान्य इमेरजेंसी की तरफ मेरु को पुनः कार में बिठाकर ले गयी… वहां पर उपस्थित पुरुष नर्स ने मेरु को देखा और बोला मैडम इनको तो अति सीघ्र ऑक्सिजन दिलाओ..
मृदुला को लगा चलो कोई तो समझ रहा है उसकी तकलीफ को…इसलिए उसने उससे कहा कि सर जल्दी से वेंटिलेटर लगाओ….
– अस्पताल कर्मी बोला मैडम मुझे लगता है ये कोविड संक्रमित है.. इसलिए आप इनको कोविड बार्ड में ले जाओ, वहीं पर इनको ऑक्सिजन मिल पाएगी…क्योकि यहाँ की पूरी ऑक्सिजन वहीं पर पहुंचा दी है..
– मृदुला ने रोते हुए कहा सर मेरे साथ ये क्या ड्रामा हो रहा है मेरे पति मरने बाले है बिना ऑक्सिजन के और आप लोग मुझे इधर-उधर घुमाए जा रहे हैं..
मृदुला की बात सुन वह व्यक्ति गुस्साई आवाज़ में बोला मैडम हम क्यो आपको इधर उधर घुमा रहे हैं। हमने थोड़े कहा है कि आप इनको हमारे पास लेकर आओ..
-मृदुला ने रोते हुए उसकी जबाब का कोई उत्तर नही दिया और पुनः उसे उसी कोविड बार्ड में ले गयी । ..कोविड बार्ड में
मृदुला को पुनः आते देख पुरुष नर्स पुनः उसी डॉक्टर को अंदर से बुला लाया और बोला सर ये मैडम फिर आ गयी बताओ क्या करें..
-डॉक्टर ने खीझते हुए कहा भगाओ इसको यहाँ से..हमको मरबाएगी ये औरत…
अभी कोविड नेगेटिव है और अगर बाद में पोसिटिव हो गया तो फिर हमारा नाम लगाएगी..
– मृदुला ने डॉक्टर की बात सुनी और उसने मेरु को जमीन पर बिठा दिया और बोली सर मैं किसी से कुछ नही कहूंगी…प्लीज इनका इलाज शुरू करो..
किन्तु डॉक्टर ने पुनः मना कर दिया..
अब मृदुला ने गुस्से में कहा कि देखो मेरे पति यही पर ढले हुए है और अगर इनको कुछ हो जाता है तो मैं आप सबको नही छोडूंगी..
और फिर इतना कहकर मृदुला ने जमीन पर लेटे हुए मेरु के सिर को अपनी गोदी में रख लिया और रोने लगी…
डॉक्टर ने कहा तुम्हें जो करना है करती रहना.. हमको धमकी ना दो।…इतना कहकर डॉक्टर ने पुरुष नर्स को आदेश दिया कि वह इस कॉरिडोर की लाइट ऑफ कर दे….
मृदुला के पास कोई विकल्प नही था, इसलिए उसने मेरु को पुनः खड़ा किया और उसके हाथों को अपने कंधे पर संभालकर पुनः कार में ले जाकर उसे लिटा दिया…मेरु की साँसे लगातार टूट रही थी, अब मेरु की स्थिति ऐसी नही थी कि वह मृदुला से कुछ बोल सके… उधर मृदुला ने भी अपने रोने की आवाज़ को तो दबा लिया था किंतु आँसुओं को नही रोक पा रही थी..इसी हाल में कोशिस करते हुए मृदुला तीसरे अस्पताल जा पहुंची , इसप्रकार मृदुला को अस्पतालों के इधर उधर भागते हुए पूरे डेढ़ घण्टे हो चुके थे और घड़ी की सुई साढ़े तीन बजने का समय दिखा रही थी।
मृदुला ने पुनः एक नए अस्पताल की तरफ अपनी कार दौड़ा दी और अस्पताल पहुंच कर उसके कोविड बार्ड पर अपनी कार रोकी और जल्दी से उतर कर कोविड बार्ड के अंदर गयी और चिल्लाई प्लीज हेल्प,प्लीज हेल्प…
अंदर से महिला नर्स निकली और मृदुला से कहने लगी कि मैडम ये कोविड बार्ड है… यहाँ पर डिलीवरी नही होती, आप बगल के महिला बार्ड में जाओ…
-मृदुला ने रोते हुए कहा कि,” मैडम मुझे डिलीवरी नही करानी है, मुझे अपने पति को एडमिट कराना है। उनको कोविड है और उनकी साँसे उखड़ रही है..। मैं इसी तरह रात के दो बजे से घूम रही हूं, किन्तु किसी भी अस्पताल ने मेरी मदद नही की… प्लीज आप मदद करो..
नर्स से मृदुला से पूछा- मरीज कहाँ है..?
मृदुला ने बताया कि वो कार में बैठे हुए है…
नर्स ने अपना स्टेथिस्कोप उठाया और फिर मृदुला के साथ मेरु को देखने कार के पास जा पहुंची..
” अब मृदुला को आशा की एक किरण दिखी इसलिए उसने अपने आसुँ रोके और गले से आ रही रोने की शिशकियों को भी रोक लिया और नर्स के साथ कार पर जाकर खड़ी हो गयी..। किन्तु जब अंधेरा बहुत गहरा हो तो सूरज को भी चमकने के लिए एक आधार की जरूरत होती है, इसलिए आशा की किरण जल्द ही आधारहीन होकर गहरे अंधेरे में खो गयी..”
नर्स ने मेरु को देखा तो मेरु बहुत लंबी लंबी साँसें बड़े बड़े अंतराल पर ले रहा था.. अब वह मछली की तरह झटपटा नही रह था बल्कि वेसुध होता जा रहा था..। उसके इस हाल को देखकर नर्स समझ गयी कि स्थिति बहुत खराब है। इसलिए उसने किसी परेशानी में पड़ने के बदले ,मृदुला को विस्वास में लेकर वहाँ से रफा दफा करना ज्यादा उचित समझा, क्योकि कोविड बार्ड का डॉक्टर और वेंटिलेटर लगाने बाला ऑपरेटर दोनों ही रात को हाजिरी लगाकर अपने अपने घर चले गए थे । क्योकि वहाँ पर अब ऑक्सिजन नही बची थी और ना ही कोविड संक्रमण के इमेरजेंसी इलाज के लिए दवाई । ” वास्तव में लोकडॉन लगे दो महीने से ज्यादा का समय बीत चुका था और कोविड संक्रमण की रफ्तार भी बहुत कम हो चुकी थी। चौवीस घण्टे में पूरे शहर में पचास-साठ कैस ही आ रहे थे। इसलिए ज्यादातर अस्पतालों में अब कोविड संक्रमण को लेकर घोर लापरवाही शुरू हो चुकी थी। जबकि विशेषग्यों ने कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की चेतावनी जारी कर दी थी..”
यही कारण था कि वह नर्स मेरु को अंदर लेकर नही जा रही थी । .इसलिए पहले उसने मृदुला का ध्यान भटकाने के लिए मेरु के सीने पर स्टेथिस्कोप लगाया और कुछ छड़ बाद बोली,
मैडम आप अपने पति को कहीं और ले जाइए क्योकि यहाँ पर ऑक्सिजन सिलेंडर नही है…
– नर्स की बात सुन मृदुला सन्न हो गयी और बोली आप ये क्या कह रही हो मैडम..?
ऐसा कैसे हो सकता है..?
– नर्स ने पुनः बोला मैडम जल्दी जाइये इनके पास ज्यादा समय नही बचा है….
– मृदुला की आंखों से आँसू पुनः बहने लगे और रोती हुई वह कार में जा पहुंची और नर्स से कहने लगी मैं तुम सबको देख लुंगी और तुम सभी के खिलाफ कार्यवाही करूंगी..
नर्स ने मृदुला के गुस्से का कोई जबाब नही दिया और पुनः अस्पताल के अंदर चली गयी..
मृदुला ने पुनः अपनी कार सड़क पर दौडाना शुरू कर दिया । मृदुला अभी कुछ दूर ही पहुंची थी कि उसने सड़क किनारे एक निजी अस्पताल देखा, जिस पर कोविड बार्ड का एक साइन बोर्ड भी लगा हुआ था। अब मृदुला ने जल्दी से अपनी कार उसी अस्पताल के पास लगा दी और कार से उतर कर जल्दी से अस्पताल के अंदर गयी और बोली प्लीज हैल्प…
तभी अंदर से एक डॉक्टर दो नर्सों के साथ बाहर आया और बोला क्या हुआ मैडम…?
मृदुला ने रोते हुए कहा, सर मेरे पति कोरोना संक्रमित है और उनकी साँसे बहुत उखड़ रही है, प्लीज उनका ट्रीटमेन्ट जल्दी से शुरू करो..और उनको वेंटिलेटर पर रखो..
डॉक्टर ने मृदुला के कंधे पर हाथ रखकर कहा कोई बात नही पहले आप अपने को शान्त करो और धीरज रखो, हम अभी उनको लाकर, ट्रीटमेंट शुरू करते है.। ये बताओ. वो कहाँ पर है..?
मृदुला ने रोते हुए कार की तरफ इशारा किया और उनको कार के पास लेकर चलने लगी..
तभी डॉक्टर के साथ आयी एक नर्स ने मृदुला से कहा मैडम आप यही रुकिए और इस कुर्सी पर बैठ जाइए । आप कार खोल दो हम ले आएंगे..
मृदुला ने रोते हुए कहा उसमे मेरा बेटा भी सो रहा है..
तब तक डॉक्टर पीपीई किट पहने दो बार्ड बॉय को बुला लाया जिनके साथ स्ट्रैचर भी था। वो स्ट्रैचर को जल्दी से कार के पास ले गए…
कार की पीछे की सीट पर वेसुध पड़े हुए मेरु को देखकर डॉक्टर सावधान हो गया। और उसने जल्दी से ग्लब्स पहने और अपने हाथों से मेरु का हाथ पकड़ कर उसकी नाड़ी जाँची..
डॉक्टर को मेरु की नाड़ी नही मिल रही थी, फिर डॉक्टर ने अपना स्टेथिस्कोप मेरु के सीने पर लगाया तो उसे हृदय गति भी नही सुनाई पड़ रही थी… यह देख डॉक्टर का मुँह उतर गया और उसने अपने पीछे खड़े दोनों बार्ड बॉय की तरफ देखा …जो स्ट्रैचर को पकड़े हुए खड़े थे..!
पीपीई किट पहने डॉक्टर के चिंतित चहरे और बड़ी हो चुकी आखों को देखकर दोनों बार्ड बॉय मरीज की स्थिति समझ चुके थे । इसलिए कार के पास से डॉक्टर जल्दी अस्पताल की तरफ चला गया… डॉक्टर को जाता देख मृदुला ने डॉक्टर से पूछा, सर सब ठीक हो जाएगा ना…?
डॉक्टर ने बिना रुके और मृदुला की तरफ देखे बिना जबाब दिया,” देखो मरीज की स्थिति बहुत नाजुक है और आपने यहाँ तक लाने में बहुत देर कर दी है..फिर भी हमसे जो कोशिस हो सकेगी हम करेंगे.. ! इसलिए तुम जल्दी से ट्रीटमेंट की फीस जमा कर दो..और हाँ कार में आपका बच्चा भी है उसे ले आओ..
मृदुला ने रोते हुए कहा ठीक है डॉक्टर साहब आप प्लीज ट्रीटमेंट जल्दी से शुरू करो…
मृदुला की बात सुने बिना ही डॉक्टर आगे बढ़ चुका था..मृदुला ने देखा बार्ड बॉय ने मेरु को कार से निकाल कर स्ट्रैचर पर लिटा लिया था और उसे दूसरे गेट की तरफ जल्दी जल्दी लेते हुए जा रहे थे…
मृदुला ने चीखते हुए कहा, अरे कहाँ लेकर जा रहे हो बार्ड का एंट्री गेट तो इधर है। क्योंकि कुछ देर पहले ही एक अन्य मरीज उसी एंट्री गेट से बार्ड में दाखिल हुआ था।
बार्ड बॉय ने मृदुला की सुने बगैर ही मेरु को जल्दी जल्दी कोविड बार्ड के एक रूम में ले गए… जिसमें एक बड़ा सा सीसा लगा हुआ था…
मृदुला भी अब उन बार्ड बॉय के पीछे पीछे चली गयी और उसने शीशे में से देखा कि उन्होंने मेरु को स्ट्रैचर से उठा कर बैड पर लिटा दिया है। और डॉक्टर एवम दो नर्स मेरु के ऑक्सिजन रेगुलेटर लगाने के तैयारी कर रहे हैं..साथ ही एक नर्स ने मेरु को लगाने के लिए इंजेक्शन भर लिया है…
तभी बार्ड बॉय अंदर से आये और मृदुला से बोले मैडम आप यहां खड़े ना हो..। आप प्रेगनेंट है और यह स्थान बहुत रिस्की है..आप कार में लेते हुए अपने बच्चे को सम्भालो और मरीज भर्ती कराने के प्रक्रिया पूरी कर दो…
मृदुला ने कोई जबाब दिए बिना कार की तरफ चली गयी और अपने बच्चे को गोदी में उठाकर अस्पताल के रिसेप्शन पर जा पहुंची..
रिसेप्शन पर बैठी हुई एक लड़की ने मृदुला से पूछा..क्या आप ही उस मरीज के साथ है..?
मृदुला ने जबाब दिया हां..?
लड़की ने कहा, ठीक है। आप पांच लाख रूपहे जमा कर दो..
मृदुला ने कहा.. पांच लाख..
लड़की ने जबाब दिया हां पांच लाख जमा कर दो। जब मरीज डिस्चार्ज होगा तब जो बाकी होगा वह आपको बापिस कर देंगे। इतना पैसा इसलिए ले रहे हैं जिससे ट्रीटमेंट करने में जिस चीज की जरूरत हो वह जल्दी से जल्दी उपलब्ध करा सकें..
मृदुला ने अपनी आँखों के आँसू रोकते हुए कहा ठीक है…मैं पैसा थोड़ी देर में जमा करूंगी क्योकि इतना पैसा अभी मेरे पास नही है..
लड़की ने पूछा कितनी देर में..?
मृदुला ने रिसेप्शन काउंटर के ऊपर लगी हुई घड़ी देखी जिसमे साढ़े चार बजे हुए थे! उसे देखकर बोली मैं अपने घर से किसी को बुलाती हूँ जैसे ही कोई आ जाएगा मैं पैसे जमा करा दूंगी। आप ट्रीटमेंट शुरू कराओ..
लड़की ने फोन उठाया और फोन पर बोली..मैडम मेरु मरीज की अटेंडेंट कह रही है कि वो कुछ देर बाद पैसा जमा करा पाएंगी..अभी उनके पास इतना पैसा नही है..
– लड़की दूसरी तरफ से आ रही आवाज़ को सुन रही थी और लगातार हां जी मैडम और जी जी बोल रही थी…और बीच मे बोली ये मेरु मरीज की पत्नी है..
-लड़की ने फोन रख दिया और बोली ठीक है मैडम आप फोन करके अपने घर से बुला लो टैब तक आप ये फॉर्म पर अपने हस्ताक्षर कर दो..
-मृदुला की आँखे रो रो कर सूज चुकी थी और लाल पड़ी हुई थी..गला भर्रा गया था और हल्का सा बैठ गया था..उसने कँपते हुए हाथों से सभी बताये फॉर्म पर हस्ताक्षर कर दिए और अपने बेटे को लेकर रिसेप्शन से दूर रखें सोफे पर जाकर बैठ गयी…और अपने बेटे को सोफे पर लिटा दिया..
अपना फोन निकालकर और मुँह पर लगे मास्क को उतारकर मृदुला ने अपनी मम्मी को फोन किया। अब सुबह के साढ़े चार से ज्यादा का समय हो चुका था। इसलिए एक दो घण्टी बजने के बाद ही मृदुला की माँ ने फोन उठा लिया और हैलो बोला..
मृदुला ने जैसे ही अपनी मम्मी की आवाज़ सुनी उसकी आखों से आसुंओं की धारा बहने लगी और कुछ देर तक तो कुछ बोल भी नही पायी…
उधर से मृदुला की माँ भी घबरा गई और उससे पूछने लगी क्या हो गया बेटा..? क्या हो गया..?
उसने फोन हाथ में लिए हुए मृदुला पिता को उठाया और बोली कोई समस्या हो गयी है मृदुला के साथ..
मृदुला के पिता छटपटाहट के साथ उठे और बोले क्या हो गया..?
तभी मृदुला ने स्वयं को संभालते हुए अपनी मम्मी को आपबीती सब सुना दी और कहा कि मम्मी तीन लाख रुपये लेते आना मेरे पास दो लाख रुपये है। पांच लाख रुपये अस्पताल में जमा कराने है..
– मृदुला की मम्मी ने जबाब दिया कोई बात नही हम अभी आ रहे हैं तो पैसों की चिंता ना कर। वस मेरु का इलाज अच्छे से करा और अपना भी ध्यान रख क्योकि तेरी स्थिति भी नाजुक है। फिर मम्मी ने मृदुला से पूछा अस्पताल का पता बता कहाँ पर है..?
मृदुला जल्दी से उठी और रिसेप्शन पर बैठी लड़की से अस्पताल का पता पूछ कर अपनी मम्मी को बता दिया..
कुछ ही देर बाद मृदुला की मम्मी और पापा दोनों ही अस्पताल पहुंच गए..जिन्है देखकर मृदुला अत्यधिक भावुक हो गयी और अपनी माँ के गले मिलकर रोने लगी..
बेटी की इस स्थिति को देखकर उसकी माँ से भी नही रहा गया और उसकी आँखों से भी आंसू आ गए..भर्राई हुई जबान में मृदुला की माँ बोली कोई बात नही मृदुला सब ठीक हो जाएगा उधर मृदुला के पापा ने भी मृदुला को सहारा दिया..और पूछा मेरु कहाँ भर्ती है..
मृदुला ने अपने आँसू रोकते हुए कहा पापा पहले पैसे जमा कर दो..और मेरु को देखने के लिए इस तरफ से जाओ वहां पर एक शीशा है जहाँ से मेरु को देखा जा सकता है..
पांच लाख रुपया जमा कर मृदुला के पिता मेरु को देखने चले गए… शीशा में से बैड पर लेटा हुआ मेरु दिख रहा था। जिसके मुँह पर ऑक्सिजन का रेगुलेटर लगा हुआ था। किन्तु उसमें से हवा के बुलबुले नही उठ रहे थे और ना ही मेरु के शरीर मे कोई हलचल थी और ना ही उसके पास कोई डॉक्टर या नर्स खड़ी थी..!
मृदुला के पिता ने शीशे के और पास जाकर देखा तो उसे पुनः वही स्थिति दिखाई दी…
उसने बार्ड के दरवाजे पर बैठे एक गार्ड से पूछा कि मरीज की स्थिति कैसी है..?
गार्ड ने सामान्य सा उत्तर देते हुए कहा ठीक है, नियंत्रण में है..। जबाब देकर गार्ड ने मृदुला के पिता से पूछा आप इस मरीज के साथ है..??
-मृदुला के पिता ने उसके सबाल को नजरअंदाज कर पुनः उससे कहा कि,” मरीज को आईसीयू में भर्ती क्यो नही किया…?
गार्ड ने उत्तर दिया सर कोविड मरीजों का यही आईसीयू होता है…
मृदुला के पिता ने पुनः पूछा नही तुम झूठ बोल रहे हो..
गार्ड ने जोर से बोलते हुए कहा कि सर आप यहां पर ना चिल्लाएं। आपको जो पूछना है डॉक्टरों से जाकर बात करो..
गार्ड की बात सुन मृदुला के पिता गुस्से में तमतमाते हुए रिसेप्शन पर पहुंच गए। इससे पहले कुछ कहते रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने उनसे कहा, सर आप मृदुला के पिता है..?
उसने तेज़ आवाज़ में कहा मैं मृदुला और मेरु दोनों का ही पिता हूँ..
लड़की ने बिना असहज महसूस किए उससे कहा कि आप दो लाख रुपये और जमा करा दो क्योकि मृदुला को डिलेवरी के दर्द शुरू हो चुके हैं.. और उसे डिलीवरी रूम में भर्ती कर दिया है..
मृदुला के पिता ने अपने गुस्से को रोकते हुए और अपनी बेटी के साथ कोई बदला लेने की स्थिति ना हो जाय को सोचते हुए दो लाख रुपये पुनः जमा करा दिए। और लड़की से पूछा कि डिलीवरी रूम किधर है..?
“ वास्तव में मृदुला के पिता मेरु की स्थिति को देख भली भांति समझ चुके थे कि पंक्षी अपनी आखिरी उड़ान उड़ चुका है, मृदुला की जिंदगी तबाह हो चुकी है। अब तो वस गिद्द अपनी दावत उड़ा रहे । इसलिए वो नही चाहते थे कि उनके गुस्से से वहाँ का अस्पताल मृदुला की डिलीवरी ना कराए और ऐसी नाजुक स्थिति में उसे किसी और अस्पताल में जाने के लिए बाहर कर दें।क्योकि वो समझते थे कि आज के मनुष्य के अंदर की मानवता और संवेदना पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। उन्है नही फर्क पड़ता कि कौन मर रहा है,कौन तड़फ रहा है..! और ऐसा नही कि इस कलयुगी हलाहल को अकेले वो ही पी रहे हो, बल्कि करोड़ों लोग किसी ना किसी रूप में हर रोज इस हलाहल को पीते रहते हैं और दुर्भाग्य का सब्र करके बैठ जाते है। इसलिए उन्होंने भी अपने आसुंओं और गुस्से को कलयुग का हलाहल समझ अंदर निगल लिया।“
लड़की ने बिना कुछ बोले इसारे से डिलीवरी रूम का रास्ता दिखा दिया..
मृदुला के पिता वहाँ पहुंच गए और उन्होंने देखा कि रूम के बाहर मृदुला की माँ बैठी हुई है। जिसकी आंखों से आसुँ आ रहे हैं..
मृदुला के पिता बेंच की बगल की सीट पर मृदुला की माँ के कंधे पर हाथ रखकर बैठ गए..
और मृदुला की माँ से पूछा सब सही है..?
मृदुला की माँ ने मृदुला के पिता के सवाल का जवाब दिए बिना ही उनसे पूछने लगी, मेरु कैसा है..?
मृदुला के पिता ने बात छुपानी चाही किन्तु उनके भीतर उबल रहे गुस्से और कुण्ठे से वो बात दवा नही सके और बोले … सब खत्म हो चुका है, मृदुला की माँ । अब तो वस गिद्द अपना काम कर रहे हैं ।.. यह सब कहते हुए मृदुला के पिता की आंखों से आसुँ बहने लगे और मृदुला की माँ भी अपने मुँह में अपनी साड़ी के एक पल्लू को दबाकर ना रुकने बाली आवाज़ में रोने लगीं..
तभी मृदुला के पिता ने कहा कि रात के लगभग दो बजे फोन आया था किंतु मैने देखा नही…सोचा जो भी होगा उससे सुबह बात कर लूंगा..
इतनी देर में मृदुला का बेटा अस्पताल की एक महिला नर्स की उंगली पकड़े वहाँ पर आ गया और मृदुला की माँ से पूछने लगा…
नानी नानी मेरे मम्मी-पापा कहाँ है..?
मृदुला की माँ के पास अब इस तीन साल के छोटे से बच्चे के इस अति सामान्य से प्रश्न का भी उत्तर नही था । इसलिए उसने मृदुला के बेटे और अपने धेबते को सीने से लगा लिया और जोर जोर से रोने लगी…
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प्रशान्त सोलंकी
8527812643
इस कहानी का किसी भी व्यक्ति स्थान से कोई सम्बंध नही है। यह बदलते परिवेश की स्थिति की काल्पनिक उड़ान मात्र है ।