Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2020 · 1 min read

कलयुगी जमाना

आया कलयुग का जमाना
********************

आया है कलयुग का ज़माना
यहाँ पे नहीं हैं अपना बैगाना
अगला पिछला भूल कर बैठे
अध्धाय भूल गए सब पुराना

भूले हैं हंसना और मुस्कराना
खिले फूलों का जैसे मुरझाना
नूतन में पुरातन को भूले बैठे
प्राचीन छोड़ा है रहना सहना

मुख पर करते रहते तारीफ
शिकायत करते बाद तशरीफ
पाश्चात्य संस्कृति करें अर्जन
भारतीय संस्कारों का वर्जन

मन में नहीं है किसी का आदर
सदा अग्रज का करते निरादर
अनुराग छोड़ बन रहे हैं बैरागी
अस्त हो रहा यहाँ सूर्य पुराना

नशे रूपी गरल का करते सेवन
तज किए सुधा रुपी दुग्ध सेवन
सौम्यता अब अदृश्य हो रही है
लक्ष्य स्वभाव में उग्रता हैं लाना

सुखविन्द्र गुप्त हैं प्रेम भावनाएं
प्रकट करते जहरीली संवेदनाएं
चाहे जितना हो संस्कृति विस्तार
रहा यहाँ बस संक्षेप में बतियाना

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
Buddha Prakash
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
अश्रु की भाषा
अश्रु की भाषा
Shyam Sundar Subramanian
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
Vishal babu (vishu)
तंग जिंदगी
तंग जिंदगी
लक्ष्मी सिंह
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपने कार्यों में अगर आप बार बार असफल नहीं हो रहे हैं तो इसका
अपने कार्यों में अगर आप बार बार असफल नहीं हो रहे हैं तो इसका
Paras Nath Jha
दूर तक आ गए मुश्किल लग रही है वापसी
दूर तक आ गए मुश्किल लग रही है वापसी
गुप्तरत्न
सच हमारे जीवन के नक्षत्र होते हैं।
सच हमारे जीवन के नक्षत्र होते हैं।
Neeraj Agarwal
हसीब सोज़... बस याद बाक़ी है
हसीब सोज़... बस याद बाक़ी है
अरशद रसूल बदायूंनी
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2412.पूर्णिका
2412.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मैं उड़ सकती
मैं उड़ सकती
Surya Barman
फुटपाथ
फुटपाथ
Prakash Chandra
दारू की महिमा अवधी गीत
दारू की महिमा अवधी गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
गर्द चेहरे से अपने हटा लीजिए
गर्द चेहरे से अपने हटा लीजिए
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
मूकनायक
मूकनायक
मनोज कर्ण
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
पर्यावरण
पर्यावरण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जय शिव-शंकर
जय शिव-शंकर
Anil Mishra Prahari
रमेशराज के दो मुक्तक
रमेशराज के दो मुक्तक
कवि रमेशराज
*आते हैं बादल घने, घिर-घिर आती रात (कुंडलिया)*
*आते हैं बादल घने, घिर-घिर आती रात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गीता, कुरान ,बाईबल, गुरु ग्रंथ साहिब
गीता, कुरान ,बाईबल, गुरु ग्रंथ साहिब
Harminder Kaur
*
*"गंगा"*
Shashi kala vyas
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
!! दो अश्क़ !!
!! दो अश्क़ !!
Chunnu Lal Gupta
"सुन रहा है न तू"
Pushpraj Anant
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Tarun Singh Pawar
Loading...