कलम
उसके हाथ में कलम थी
जादुई छड़ी की जगह
दुपट्टा लहरा रहा था
सफेद पंखों की जगह
वह परी नहीं थी
पर लग रही थी
परी की तरह
अपने हाथ की कलम मुझे दे
उसने कहा था
यह उस सैनिक की अमानत है
जो अब नहीं रहा था
बिना पीछे देखे
वह चली जा रही थी
नदी की तरह
वह कलम अभी भी है
मेरे पास
थकी थकी सी
उदास उदास
शायद वह नहीं कह पायी कुछ
एक पति की तरह