” कलम “
” कलम ”
कभी मोहब्बत का पैगाम लिखती कलम,
कभी मौत का फरमान लिखती कलम।
कभी इंसानों के अरमान लिखती कलम,
कभी गुजारिश औ’ एहसान लिखती कलम।
” कलम ”
कभी मोहब्बत का पैगाम लिखती कलम,
कभी मौत का फरमान लिखती कलम।
कभी इंसानों के अरमान लिखती कलम,
कभी गुजारिश औ’ एहसान लिखती कलम।