‘कलम’
ऐ कलम !
तुझको प्रणाम!
थकती नहीं कभी,
बस चलना तेरा काम।
भूले से भी याद जो करते नहीं
लिखदे एक ख़त आज
तू उनके भी नाम
ऐ कलम !
तुझको प्रणाम!
सहचरी सभी की
ग़म की खुशी की
लिखती है आँसू
तो भरती खुशी भी
मेरे आखर की शोभा
बस है तेरे ही नाम
ऐ कलम !
तुझको प्रणाम!
….
©®
गोदाम्बरी नेगी