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5 Jun 2021 · 1 min read

कलम

कलम

मैं कलम से अलख जगाता हूँ
जगाता हूँ सोये हुए भाग्य

पीर दिलों की मिटाता हूँ
जगाता हूँ चेहरे पर मुस्कान

संवेदनाओं का समंदर करता हूँ रोशन
भटकों को राह दिखाता हूँ

रिश्तों का एक कारवाँ करता हूँ रोशन
लोगों को एक दूसरे के करीब लाता हूँ

खिलाता हूँ खुशियों के फूल जीवन के उपवन में
डूबते हुओं को मंजिल तक पहुंचाता हूँ

रूठे हुओं को मनाता हूँ
मुहब्बत का एक कारवाँ सजाता हूँ

अँधेरी कोठरी में कैद कर लिया है जिन्होंने खुद को
उनके जीवन में उम्मीद का दीपक जलाता हूँ

गीत जिन्दगी के लिखता हूँ अपनी कलम से
खुशनुमा जिन्दगी के गीत गुनगुनाता हूँ

मेरी कलम के चाहने वालों का आशीर्वाद है मुझ पर
जिन्दगी के थपेड़ों से नहीं घबराता हूँ

मेरी कलम को है उस खुदा पर एतबार
जो भी लिखता हूँ इबादत समझ गुनगुनाता हूँ

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 248 Views
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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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