कलम लिख दे।
कलम लिख दे,गीत गाए भारती।
आम-जन दौड़े -उतारे आरती।
दिव्यता देती मनुज को प्रीति कब?
जब निशा ज्ञानग्नि से जल हारती।
नर तभी यश-मान का शुभ भाल है।
सजगता के रुप की सुर-ताल है।
सीख सद्आलोक विकसित भानु-सम
चमक जाए, समझ विजयी माल है।
पं बृजेश कुमार नायक