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20 Feb 2024 · 1 min read

कलम लिख दे।

कलम लिख दे,गीत गाए भारती।
आम-जन दौड़े -उतारे आरती।
दिव्यता देती मनुज को प्रीति कब?
जब निशा ज्ञानग्नि से जल हारती।

नर तभी यश-मान का शुभ भाल है।
सजगता के रुप की सुर-ताल है।
सीख सद्आलोक विकसित भानु-सम
चमक जाए, समझ विजयी माल है।

पं बृजेश कुमार नायक

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