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3 Oct 2021 · 1 min read

कलम में भरा

कलम में भरा
रात और दिन
पसीना और खून।
कलम ने दिया
भूख और गरीबी
जिल्लत की जिन्दगी।
मजदूरी को उठा
ठठाने लगे
व्यापार के लिए
पूंजी नहीं
नौकरी को ढ़ूंढ़ते
साक्षत्कार झेलते
बीत गई
आधी जिन्दगी।
सपने‚उम्मीद
आशा‚आश्वासन
खत्म हो गये।
विश्लेषण करने
बैठे जब–
सरकार ने
कर दिया गठित
एक आयोग।
यह अवसर भी
मैंने दिया खो।

Language: Hindi
1 Comment · 376 Views
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