कलम की ताकत
कलम की ताकत
कलम बिना ना, कोई जाने
बात ना कोई ,अपनी माने ।
दिखने में, दुबली पतली सी
खोले हैं इसनें, कई खजाने ।।
जिसने पकड़ी, अपने हाथ में
रहती संग ये, उसके साथ में ।
अपनों से, प्यारी हो जाती
छोटी सी, एक मुलाकात में।।
कर्ज और फर्ज को, याद कराती
जायदाद को यह,बटवाती ।
झूठ की ओढ़नी, रखकर शिर पर
भाई -भाई का ,प्यार बटाती ।।
कर्मठ के, जब हाथ में आई
रियासत ,उसने सारी मिलाई ।
टुकड़े -टुकड़े ,बँटा था भारत
पटेल ने ताकत ,इसकी दिखाई।।
जब आई ,कपटी के हाथ में
खरबो रुपए ,ले भागी साथ में ।
आधा इंच का, दस्तखत करके
धूल झोक गई, सबकी आंख में।।
ईमानदार ने ,जब यह चलाई
देश विदेश में, मिली बढ़ाई ।
जेल पहुंच गए ,दोषी सारे
कलम से, उनकी शामत आई ।।
शिक्षक ने जब, हाथ लगाया
कलम से ,सबको ज्ञान सिखाया ।
भाईचारा सब को,सिखलाकर
सच का आईना, सबको दिखाया ।।
तुम भी मेरी, बात ये मानो
कलम की ताकत ,को पहचानो ।
अनपढ़ता अभिशाप, बने ना
भाईचारा तुम ,लिखना जानो।।
रचनाकर : अरविंद भारद्वाज