कलम की तलबार
कलम की तलबार से,हर बुराई काटना
गीत में पीड़ा किसी की, हिंसा से तुम न हारना
प्रेम के गीतों से,जग में खुशियां बांटना
पथ नहीं है साफ,पर राह मुश्किल भी नही
गीत और गजलों में आहें, आसिकी की ही नहीं
गीत में गोविंद है, और ग़ज़ल में गौस है
छंद में सच के धरातल, आईना हर काव्य है
ज्ञान चक्षु खोल कर, जिंदगी में झांकना
राम और रमजान की, जब लिखो तुम वंदना