कर यार बस
ज़ख्म दिए इतने उसने
कहा अब तू कर यार बस
ग़म जदा हो गए वो अब
ग़म देकर गये वो यार बस
तोहमत थी उनकी क़ल्ब (दिल)में
दर्द देकर गये वो यार बस
खुद बेसुध हो गए है वो अब
रातों की नींद हराम कर गए यार बस
उपज थी फ़सल कल तक जो
बंजर करके गये वो यार बस
अफ़साना थे वो शेष ज़िन्दगी का
अधूरे किस्से का किरदार दे गए यार बस
गोहार (रुदन,पुकार)में लगा है ग़रीब अब
वो इंतज़ार दे गए अब यार बस
ज़नाब गुमान(गर्व) था कल तक जानी (प्रेमिका)पर
आज साक़ी ज़हर का ज़ाम दे गए वो यार बस
भूपेंद्र रावत
21।08।2017