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6 May 2021 · 1 min read

कर्ज़ जिसका।है वही ढोये उठाये।

कर्ज़ जिसका है वही ढोये उठाये।
देवकी के अश्रु से गोकुल क्यों भीगे,
क्यों यशोदा की व्यथा हो देवकी की,
गोपियों के प्रेम को मथुरा क्यों समझे,
जान क्यों पाए भले उद्धव हो कोई,
दो ध्रुवों को साधते जीवन गुजारा,
कोई कैसे कृष्ण की वंशी बजाए।

कर्ज़ जिसका है वही ढोये उठाये।
मंथरा की वेदना निंदित अभी तक,
कैकई का हठ अभी तक लांछित है,
ये भ्रमित जग कैसे निर्णय दे रहा है,
क्या सही है और क्या मनवांछित है,
लोग संग लहरों के बहना जानते हैं,
क्यों कोई औरों की खातिर छटपटाये।

कर्ज़ जिसका है वही ढोये उठाये।
हो गयी पत्थर अहिल्या शाप पाकर,
कोई उसको मानवी करने न आया,
और जब राघव ने उसको आ उबारा,
शैल ही रहने दो कोई कह न पाया,
शाप देने वालों से तो जग भरा है ,
राम जैसे पग कहाँ से कोई लाये।
कर्ज़ जिसका है वही ढोये उठाये।
*****
कुमारकलहँस,06,05,2021,बोइसर,पालघर

Language: Hindi
11 Likes · 6 Comments · 364 Views
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