“कर्म की भूमि पर जब मेहनत का हल चलता है ,
“कर्म की भूमि पर जब मेहनत का हल चलता है ,
उर्वर हो या हो ऊसर भूमि , निश्चित ही फल मिलता है ,
हो अनगिनत बाधाओं का दौर , किंचित फर्क नहीं पड़ना ,
जब निखरता है कर्म ,तभी व्यक्ति का नसीब बदलता है l”
“नीरज कुमार सोनी”
“जय श्री महाकाल”